Hindi, asked by Sayedibhrahim5759, 5 days ago

Raghu verr Shah kavita dhoo earth ka bhay kendriya bhao likiya

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Answered by jyotiksingh708
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Answer:

मधुर यौवन का मधुर अभिशाप मुझको मिल चुका था

फूल मुरझाया छिपा काँटा निकलकर चुभ चुका था

पुण्य की पहचान लेने, तोड़ बन्धन वासना के

जब तुम्हारी शरण आ, सार्थक हुआ था जन्म मेरा

क्या समझकर कौन जाने, किया तुमने त्याग मेरा

अधम कहकर क्यों दिया इतना निठुर उपलम्भ है यह

अंत का प्रारंभ है यह

 

जगत मुझको समझ बैठा था अडिग धर्मात्मा क्यों?

पाप यदि मैंने किए थे तो न मुझको ज्ञान था क्यों?

आज चिंता ने प्रकृति के मुक्त पंखों को पकड़कर

नीड़ में मेरी उमंगों के किया अपना बसेरा

हो गया गृहहीन सहज प्रफुल्ल यौवन प्राण मेरा

खो गया वह हास्य अब अवशेष केवल दंभ है यह

अंत का प्रारंभ है यह

है बरसता अनवरत बाहर विदूषित व्यंग्य जग का

और भीतर से उपेक्षा का तुम्हारा भाव झलका

अनगिनत हैं आपदाएँ कहाँ जाऊँ मैं अकेला

इस विमल मन को लिए जीवन हुआ है भार मेरा

बुझ गए सब दीप गृह के, काल रात्रि गहन बनी है

दीख पड़ता मृत्यु का केवल प्रकाशस्तंभ है यह

अंत का प्रारंभ है यह

Explanation:

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