rah rah kar uthane wala dard
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रह -रह कर उठनेवाला दर्द
उत्तर -: रह -रह कर उठनेवाला दर्द (दरद)का मतलब किसी स्मृति या विगत विशेष से हमें जो पीड़ा होती है वह , अन्य पर्यायवाची के तौर पर देखें तो - एक प्रकार की टीस जो मन में रह रह कर उठती है या कसक, हूल, चुभन,मनोव्यथा, पीर, इत्यादि (उदाहरण के तौर पर गोपियों की मनोदशा जो कृष्ण के मथुरागमन के पश्चात सूरदास जी के पदों में उजागर होती हैं | यथा - वे कहती है " जब सुधि आवत प्यारे दरस की उठत कलेजे पीर, चले गए दिल के दामनगीर " यहाँ उनकी पीड़ा रह रहकर उठने वाले दर्द की भांति उन्हें चैन नहीं लेने देती हैं जिसे सूर ने अपने शब्दों में पिरोया हैं यह शृंगार का विरह पक्ष हैं |)
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रह -रह कर उठनेवाला दर्द
उत्तर -: रह -रह कर उठनेवाला दर्द (दरद)का मतलब किसी स्मृति या विगत विशेष से हमें जो पीड़ा होती है वह , अन्य पर्यायवाची के तौर पर देखें तो - एक प्रकार की टीस जो मन में रह रह कर उठती है या कसक, हूल, चुभन,मनोव्यथा, पीर, इत्यादि (उदाहरण के तौर पर गोपियों की मनोदशा जो कृष्ण के मथुरागमन के पश्चात सूरदास जी के पदों में उजागर होती हैं | यथा - वे कहती है " जब सुधि आवत प्यारे दरस की उठत कलेजे पीर, चले गए दिल के दामनगीर " यहाँ उनकी पीड़ा रह रहकर उठने वाले दर्द की भांति उन्हें चैन नहीं लेने देती हैं जिसे सूर ने अपने शब्दों में पिरोया हैं यह शृंगार का विरह पक्ष हैं |)
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