रहीम जी के दस दोहे ढूंढो और लिखो
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दोहा:
“जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं। गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं।”
अर्थ:
रहीम अपने दोहें में कहते हैं कि किसी भी बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन कम नहीं होता, क्योंकि गिरिधर को कान्हा कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती।
क्या सीख मिलती है:
रहीम दास जी के इस दोहे से माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि बड़प्पन नाम से नहीं बल्कि कामों से दिखता है। इसलिए किसी भी बड़े को छोटा कहने पर उसका बड़प्पन कम नहीं होता।
रहीम दास का दोहा नंबर 2 – Rahim Ke Dohe 2
रहीम दास जी का यह दोहा उन लोगों के लिए है जो लोग अपनी असफलता के लिए या फिर किसी गलत काम के लिए खुद को नहीं बल्कि गलत लोगों से मित्रता यानि कि बुरी संगति को दोष देकर खुद को संतोष देते हैं।
दोहा:
“जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग। चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग।”
अर्थ:
रहीम जी ने कहा की जिन लोगों का स्वभाव अच्छा होता हैं, उन लोगों को बुरी संगती भी बिगाड़ नहीं पाती, जैसे जहरीले साप सुगंधित चन्दन के वृक्ष को लिपटे रहने पर भी उस पर कोई प्रभाव नहीं दाल पाते।
क्या सीख मिलती है:
महाकवि रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें सदैव अपनी बुद्धि और विवेक से काम करना चाहिए और कभी खुद पर किसी दूसरे का बुरा प्रभाव नहीं पड़ने देना चाहिए क्योंकि जब तक हम खुद अच्छे नहीं बनेंगे और खुद का आचरण सही नहीं रखेंगे तब तक हम दूसरों को भी अपनी असफलता के लिए कोसते रहेंगे।
रहीम दास का दोहा नंबर 3 – Rahim Ke Dohe 3
आज के समाज में कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें रिश्तों की कदर नहीं होती है और वे बड़ी आसानी से रिश्ता तोड़ लेते हैं और यह नहीं समझते कि प्यार का रिश्ता बडा़ ही नाजुक होता है जो एक बार टूट जाए तो उसे आसानी से दोबारा नहीं जोड़ा जा सकता है। ऐसे लोगों के लिए रहीम दास जी ने अपने इस दोहे में बड़ी सीख दी है।
दोहा:
“रहिमन धागा प्रेम का, मत टोरो चटकाय। टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय”
अर्थ:
रहीम ने कहा कि प्यार का नाता नाजुक होता हैं, इसे तोड़ना उचित नहीं होता। अगर ये धागा एक बार टूट जाता हैं तो फिर इसे मिलाना मुश्किल होता हैं, और यदि मिल भी जाये तो टूटे हुए धागों के बीच गांठ पड़ जाती हैं।
क्या सीख मिलती है:
रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें रिश्तों की कदर करनी चाहिए और एक-दूसरे के प्रति आदर-सम्मान का भाव रखना चाहिए क्योंकि अगर एक बार रिश्ता टूट जाता है तो फिर कितनी भी कोशिश क्यों न कर लें यह जोड़ा नहीं जा सकता है।
रहीम दास का दोहा नंबर 4 – Rahim Ke Dohe 4
इस दोहे के माध्यम से हिन्दी साहित्य के महान कवि रहीम दास जी ने यह समझाने की कोशिश की है कि इंसान के गुणों की पहचान इंसान की वाणी से होती है।
दोहा:
“दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं। जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के नाहिं”
अर्थ:
रहीम कहते हैं कि कौआ और कोयल रंग में एक समान काले होते हैं। जब तक उनकी आवाज ना सुनायी दे तब तक उनकी पहचान नहीं होती लेकिन जब वसंत रुतु आता हैं तो कोयल की मधुर आवाज से दोनों में का अंतर स्पष्ट हो जाता हैं।
क्या सीख मिलती है-
रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हम किसी भी व्यक्ति के गुणों और उसके स्वभाव का अंदाजा उसकी वाणी से लगा सकते हैं अर्थात हमें भी मधुर भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि मधुर आवाज सबको अपनी तरफ आर्कषित करती है और इससे हम अपने कई बिगड़े कामों को भी कर सकते हैं।
रहीम दास का दोहा नंबर 5 – Rahim Ke Dohe 5
कई लोग ऐसे होते हैं जो इंसान के नीच स्वभाव को जानते हुए भी उनसे दोस्ती कर लेते है या फिर किसी बात को लेकर झगड़ा कर लेते हैं। रहीम दास जी ने इस दोहे में ऐसे ही लोगों के लिए बड़ी सीख दी है।
दोहा:
“रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली न प्रीत। काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँती विपरीत।”
अर्थ:
गिरे हुए लोगों से न तो दोस्ती अच्छी होती हैं, और न तो दुश्मनी। जैसे कुत्ता चाहे काटे या चाटे दोनों ही अच्छा नहीं होता।
क्या सीख मिलती है:
महाकवि रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीखने को मिलता है कि इंसान के स्वभाव को जानकर ही उससे दोस्ती करनी चाहिए क्योंकि गलत इंसान से दोस्ती और दुश्मनी दोनों ही खराब होती हैं।
रहीम दास का दोहा 6 – Rahim Ke Dohe class 6
जो लोग बड़ी चीजों को देखकर छोटी चीजों को कोई महत्व नहीं देते या फिर या फिर कुछ लोग यह भूल जाते हैं कि अलग-अलग चीजों का अलग-अलग महत्व होता है ऐसे लोगों के लिए रहीम दास जी का यह दोहा काफी शिक्षाप्रद है।
दोहा:
“रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारी। जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारी।”
अर्थ:
बड़ी वस्तुओं को देखकर छोटी वास्तु को फेंक नहीं देना चाहिए, जहां छोटी सी सुई कम आती हैं, वहां बड़ी तलवार क्या कर सकती हैं?
क्या सीख मिलती है:
रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हर चीज के महत्व को समझना चाहिए क्योंकि अलग-अलग चीजों का अपना अलग महत्व होता है उदाहरण के लिए जहां सुई का इस्तेमाल किया जाना है वहां तलवार क्या काम आएगी।
रहीम दास का दोहा 7- Rahim Ke Dohe class 7
आज के समय में कई लोग ऐसे हैं कि बुरा वक्त या फिर दुख का समय आने पर डिप्रेशन में चले जाते हैं या फिर जरूरत से ज्यादा पछाताव करते हैं। उन लोगों के लिए रहीम दास जी ने निम्नलिखित दोहों में बड़ी सीख दी है।
दोहा:
”समय पाय फल होता हैं, समय पाय झरी जात। सदा रहे नहीं एक सी, का रहीम पछितात।”
अर्थ:
हमेशा हर किसी की अवस्था एक जैसी नहीं रहती जैसे रहीम कहते हैं की सही समय आने पर वृक्ष पर फल लगते हैं और झड़ने का समय आने पर वह झड़ जाते हैं। वैसे ही दुःख के समय पछताना व्यर्थ हैं।