रहीम का जीवन-परिचय दीजिए।
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अब्दुल रहीम एक प्रसिद्ध कवि व बादशाह अकबर के दरबारी नौ रत्नों में से एक रत्न थे। उन्हें खान-ए-खाना या सिर्फ रहीम के नाम से भी जाना जाता है।
बादशाह अकबर ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें खान-ए-खाना की उपाधि दी। अकबर के द्वारा दी गई यह उपाधि उनके नाम से जुड़ गई और लगभग 400-450 वर्ष बीत जाने के बाद आज भी रहीम को खान-ए-खाना के नाम से भी जाना जाता है।
रहीम के दोहे बहुत ज्यादा प्रचलित व प्रसिद्ध हुए हैं। उनके द्वारा रचित दोहे मनुष्य को नैतिक गुणों व संसार की वास्तविकता से परिचित कराते हैं। रहीम का समय कबीर दास व सूरदास के बाद का है।
अब्दुल रहीम का जन्म 17 दिसंबर 1556 को मुगल साम्राज्य के समय दिल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम बैरम खान था जो बादशाह अकबर के शुरुआती शासनकाल में सेनापति थे। इतिहास में उनकी माता का नाम विदित नहीं है, परंतु कुछ स्रोतों के मुताबिक रहीम की माता का नाम सुल्ताना बेगम था।
रहीम की माता मेवात (वर्तमान हरियाणा के नूह जिला) के जमाल खान नामक खानजादे की छोटी बेटी थी। उनकी बड़ी बेटी का विवाह बादशाह हुमायूं के साथ पहले ही चुका था। बादशाह हुमायूं भारत के जमीदारों के साथ पारिवारिक संबंध बनाना चाहता था इसलिए उसने यहीं के जमींदार जमाल खान की बड़ी बेटी से विवाह किया।