Hindi, asked by tsg, 1 year ago

रहीम के दोहे.
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Answered by chandresh126
4

“रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली न प्रीत | काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँती विपरीत |”

दोहे का अर्थ : इस दोहे से संत रहिमन कहना चाहते है की  गिरे हुए लोगों से न तो दोस्ती अच्छी होती हैं और न तो दुश्मनी. और इसके उदारण के तोर पर उन्होंने बतया है की कुत्ते का चाटना और काटना किसी को अच्छा नहीं लगता ।  

“रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि | जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवार |”

दोहे का अर्थ : इस दोहे से संत रहिमन कहना चाहते है की इस दोहे से संत रहिमन कहना चाहते है की  बड़ों को देखकर छोटों को बगाना नहीं  चाहिए क्योंकि कईबार जहा छोटे का काम होता है वहां बड़ा कुछ भी  नहीं कर पता। और इसके उदारण के तोर पर उन्होंने बतया है की जैसे कि सुई का काम कोई तलवार नहीं कर सकती।

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अर्जुन की बेटी का नाम क्या था

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एक अच्छी सेल्स पिच के 4 P's का क्रम है-

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Answered by nayansi7786
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Answer:

Top 5 Rahim ke dohe :-

बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय.

रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय.

अर्थ: मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए,क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा.

–2–

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय.

टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय.

अर्थ: रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है.

–3–

रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि.

जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि.

अर्थ: रहीम कहते हैं कि बड़ी वस्तु को देख कर छोटी वस्तु को फेंक नहीं देना चाहिए. जहां छोटी सी सुई काम आती है, वहां तलवार बेचारी क्या कर सकती है?

–4–

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग.

चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग.

अर्थ: रहीम कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं,उनको बुरी संगति भी बिगाड़ नहीं पाती. जहरीले सांप चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते.

–5–

रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार.

रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार.

अर्थ: यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए,क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए.

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