रहीम ने प्रेम की तुलना धागे से क्यों की है
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रहीम जी ने यहां धागे की तुलना दोस्ती के साथ की हैं। वे कहते है कि दोस्ती एक बड़ी नाजुक चीज है। ... और अगर दोस्ती हो भी जाए तो उस दोस्ती में एक गाठ पड़ जाती है। इसलिए हमें कभी भी इस प्रेम रूपी धागे को तोड़ना नहीं चाहिए।
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