Hindi, asked by akashgupta888, 10 months ago

रहीम दास जी ने प्रेम के धागे को चटका कर न तोड़ने की बात क्यों की है?

Answers

Answered by Anonymous
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दोहा :

  • रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय
  • टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय

कवि :

  • अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना

अर्थ :

  • रहीम जी ने यहां धागे की तुलना दोस्ती के साथ की हैं। वे कहते है कि दोस्ती एक बड़ी नाजुक चीज है। यह एक नाजुक धागे की तरह है। जिस प्रकार यदि एक बार धागा टूट जाए तो जुड़ता नहीं और अगर जुड़ता है तो गाठ पड़ जाती है। वैसे ही यदि हमारी किसी से दोस्ती टूट जाता है तो वापस दोस्ती होना बड़ा मुश्किल है। और अगर दोस्ती हो भी जाए तो उस दोस्ती में एक गाठ पड़ जाती है। इसलिए हमें कभी भी इस प्रेम रूपी धागे को तोड़ना नहीं चाहिए।
Answered by vaishnavirai2408
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Explanation:

  1. क्योंकि रहीम जी का ऐसा कहना है कि एक बार यदि प्रेम का धागा टूट गया तो वह अगर गलती से जुड़ भी जाता है तो उसमें एक गांठ पड़ जाती है

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