रहिमन खोजे ऊख में, जहाँ रसनि की खानि
जहाँ गाँठ तहँ रस नहीं, यही प्रीति में हानि
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जहां गांठ तहं रस नही यही प्रीति में हानि। इख रस की खान होती है पर उसमें जहाॅ गाॅठ होती है वहाॅ रस नहीं होता है। यही बात प्रेम में है। प्रेम मीठा रसपूर्ण होता है पर प्रेम में छल का गाॅठ रहने पर वह प्रेम नहीं रहता है।
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