'रहिमन' रिस को छाँड़ि के, करौ गरीबी भेस ।
मीठो बोलो, नै चलो, सबै तुम्हारी देस।।क्रोध को छोड़ दो और ग़रीबों की रहनी रहो। मीठे वचन बोलो और नम्रता से चलो, अकड़कर नहीं। फिर तो सारा ही देश तुम्हारा है।
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