रहिमन याचकता गहे, बड़े छोट होइ जात।
हूँ को भयो, बावन अंगुर गात।। 1 ।।
नारायण
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इन पंक्तियों में रहीम जी कहना चाहते हैं कि भिक्षा मांगने से बड़े लोग भी छोटे हो जाते हैं ठीक उसी प्रकार जैसे नारायण को भी राजा बलि से भिक्षा मांगने के लिए 52 अंगुली का होना पड़ा था
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रहिमन याचकता गहे, बड़े छोट होइ जात।हूँ को भयो, बावन अंगुर गात।। नारायण
इन पंक्तियों में रहीम जी कह रहे है कि भिक्षा मांगने से को भी छोटा होना पड़ता है , उसी प्रकार जैसे नारायण को राजा बलि से भिक्षा मांगने के लिए बावन अंगुल छोटा होना पड़ा था।
- रहीम जी का पूरा नाम अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना था।
- कवि रहीम जी सेनापति, कवि , प्रशासक , दानवीर , कूटनीतिज्ञ, कलाप्रेमी तथा विद्वान थे।
वे बहुमुखी प्रतिभा के स्वामी थे। वे भारतीय संस्कृति के आराधक व सभी सांप्रदायों के प्रति सम्मान रखते थे। एक साथ ही वे तलवार व कलम के धनी थे व मानव प्रेम के सूत्रधार भी माने जाते थे ।
- वे धर्म से मुसलमान थे फिर भी उन्होंने आजीवन हिन्दू जीवन के तथ्य अंकित किए थे।
- उन्होंने अपने लेखन में हिन्दू मान्यताओं , परंपराओं , देवी व देवताओं का पूरी निष्ठा व जानकारी से वर्णन किया है ।
- उन्होंने काव्य द्वारा रामायण , पुराण ,महाभारत व गीता जैसे ग्रन्थ कथानक के लिए चुने थे।
- वे हिन्दू जीवन को भारतीय जीवन का यथार्थ मानते थे।
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