Hindi, asked by vanita402, 5 hours ago

रझिया सुल्ताना कौन थी??

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Answered by shwetasaini358
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Answer:

रज़िया सुल्तान का जन्म 1205 मे हुआ था और उसने देश पर सन 1236 से 1240 तक शासन किया। रज़िया सुल्तान दिल्ली के सिंहासन मे हस्तक्षेप करने वाली पहली मुस्लिम महिला थी। उसने दिल्ली का शासन अपने पिता से उत्तराधिकार मे प्राप्त किया था और 1236 मे दिल्ली की सल्तनत बनी।

रज़िया सुल्तान बहुत ही बुद्धिमान, एक श्रेष्ठ प्रशासक, और अपने पिता की तरह एक बहादुर योद्धा थी। इस तथ्य के बावजूद कि उसका प्रशासन मात्र तीन वर्षो के लिए था, इतिहास के पन्नो मे उसके कार्य सुरक्षित हो चुके है। दिल्ली मे रज़िया सुल्तान का मकबरा उन सभी स्थलो मे से एक है जो इस बहादुर महिला की स्मृतियो का स्मरण कराते है।

वह पुरुषों की तरह सुसज्जित हो कर खुले दरबार मे बैठती थी। वह एक प्रभावशाली शासक थी और उसमे एक शासक के सभी गुण थे। बचपन और किशोरावस्था मे गृहिणी समूह की महिलाओं से रज़िया का सम्पर्क बहुत कम था इसलिए वह मुस्लिम समुदाय की स्त्रियों के मूल व्यवहार को नहीं सीख पायी। वास्तव मे, सुल्तान बनने से पूर्व वह अपने पिता के प्रशासन के नियमों की तरफ आकर्षित थी। एक सुल्तान की भांति रज़िया ने अंगरखा और राजमुकुट पहना और जब वह एक हाथी पर सवार हो कर युद्ध मे भाग लेती थी तो रीति-रिवाजो के विपरीत वह अपने चेहरे को खुला रखती थी।

रज़िया का असाधारण पिता:

इल्तुत्मिश का जन्म 1210 मे हुआ और उसकी मृत्यु 1236 मे हुयी, वह एक सुलझा हुआ व्यक्ति था, अपनी पहली छोटी पुत्री जिसका जन्म कई बच्चो के बाद हुआ था के जन्मे के स्वागत के लिए भव्य उत्सव के आयोजन के लिए उसने अपने अनुयायियों को तैयार किया। उसको शिक्षित करने में उसने व्यक्तिगत रुचि ली, और जब वह मात्र 13 साल की थी सिर्फ अपने पिता के द्वारा दी गयी शिक्षा की वजह से रजिया एक कुशल धनुर्धर और घुड़सवार के रूप मे जानी गयी और वह अक्सर ही अपने पिता के साथ उसके सैन्य उपक्रमों मे जया करती थी।

जब एक बार इल्तुत्मिश ग्वालियर के हमले मे शामिल था, उसने दिल्ली को रज़िया को सौप दिया था, और वापस आने पर वह रज़िया के प्रदर्शन से बहुत आश्चर्यचकित था इसलिए उसने रज़िया को अपने उत्तराधिकारी के रूप मे चुना।

अपनी पुत्री के लिए इल्तुत्मिश की अभिव्यक्तियाँ, “मेरी यह छोटी पुत्री कई पुत्रो से श्रेष्ठ है।”

पिता की मृत्यु के पश्चात:

इल्तुत्मिश के बच्चो मे से एक, रूकनुददी्न फिरोज राजकाज मे सम्मिलित था। वह लगभग सात महीनों से दिल्ली की देखभाल कर रहा था। 1236 मे रज़िया सुल्तान ने दिल्ली के निवासियों की मदद से अपने भाई को पूर्णतया पराजित कर दिया और शासक बन गयी।

उस समय जब रज़िया सुल्तान ने सिंहासन संभाला, सारी परिस्थितियाँ पहले की तरह हो गयी। राज्य के वज़ीर निज़ाम-अल-मुल्क जुनेदी ने वफ़ादारी करने से इंकार कर दिया, और उसने कई अन्य लोगो के साथ मिल कर सुल्तान रज़िया के खिलाफ कुछ समय के लिए युद्ध की घोषणा कर दी ।

बाद मे, तबशी मुईज्जी (जो अवध का विधि प्रमुख था) ने सुल्तान रज़िया की सहायता के लिए दिल्ली की ओर कूच किया जब तक वह गंगेस को पार करता उसका सामना उन नायको से हुआ जो शहर के विरुद्ध युद्ध कर रहे थे एवं उसे बंदी बना लिया गया, उसके बाद उसका अस्तित्व समाप्त हो गया।

रज़िया सुल्तान के कार्य:

एक समझदार शासक होते हुये रज़िया सुल्तान ने अपने अधिकार क्षेत्र (प्रांत) मे विधि और पूर्ण शांति स्थापित की, जिसमे प्रत्येक व्यक्ति उसके द्वारा स्थापित किये गए नियमों और विनियमों का पालन करता था।

उसने राष्ट्र के आधार का विस्तार करने का प्रयास किया जिसके लिए उसने लेन-देन(विनिमय) को बढ़ावा दिया, गलियों का निर्माण एवं कुओं की खुदाई इत्यादि का कार्य करवाई।

इसके अतिरिक्त उसने खोज कार्यो के लिए विद्यालयों, संस्थाओं व स्थलों का निर्माण कराया और पुस्तकालय खुलवाए जिससे शोधकर्ताओं को कुरान और मुहम्मद की नीतियों पर कार्य को बढ़ावा दिया।

हिंदुओं ने विज्ञान, विचार, अन्तरिक्ष विज्ञान, और रचना मे वांछित योगदान दिया जिसे विद्यालयों और कालेजों मे ध्यान केन्द्रित किया गया था।

यहाँ तक कि उसने शिल्पकारिता और संस्कृति के क्षेत्र मे भी योगदान दिया और विद्वानों, चित्रकारों और शिल्पकारों का समर्थन किया।

रज़िया का पतन:

रज़िया को जमाल-उद-दीन याकूत के प्रति एकतरफा प्यार ने बहुत नुकसान पहुचाया।

उसके अन्त का कारण असंतोषजनक प्रेम था । जमाल-उद-दीन याकूत जो एक अफ्रीकन सिद्दी गुलाम था एक विशेष व्यक्ति बन गया (जो उसके लिए एक पड़ोसी देश का निवासी था) और यह अनुमान लगाया जाता था कि वह उसका जीवनसाथी रहा होगा ।

भटिंडा का प्रशासनिक प्रमुख मालिक इख्तियार-उद-अल्तुनिया, रज़िया के इस रिश्ते के खिलाफ था। कहानी यह थी कि अल्तुनिया और रज़िया युवा साथी थे। वे जैसे जैसे साथ साथ बड़े हुये, वह रज़िया पर बुरी तरह से मंत्रमुग्ध होने लगा था और उसका बागवत करना मूल रूप से रज़िया को वापस पाने की एक तकनीकी थी । तबाही तेजी से फैल गयी । याकूत का कत्ल कर दिया गया और अल्तुनिया ने रज़िया को रख लिया। जब वह भटिंडा के तुर्किश राज्यपाल के प्रतिरोध को नियंत्रित करने कि कोशिश कर रही थी, उसके दुर्भाग्यपूर्ण अभाव का लाभ उठाया उसे दिल्ली के शासन से अपदस्थ कर दिया। उसका भाई बहराम मनोनीत किया गया।

अपने कीर्ति की रक्षा के लिए रज़िया ने समझदारीपूर्वक भटिंडा के प्रशासनिक प्रमुख अल्तुनिया से विवाह करने का निश्चय किया, और अपने साथी के साथ दिल्ली की तरफ चल दी।

13 अक्तूबर 1240 को वह बहराम से पराजित हुयी और अगले ही दिन अभागे जोड़े का कत्ल कर दिया गया।

Answered by ananyaanuj2006
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  1. रज़िया अल-दिन, इतिहास में जिसे सामान्यतः “रज़िया सुल्तान” या “रज़िया सुल्ताना” के नाम से जाना जाता है, दिल्ली सल्तनत की सुल्तान थी।
  2. उसने 1236 ई० से 1240 ई० तक दिल्ली सल्तनत पर शासन किया।
  3. रजिया पर्दा प्रथा त्यााग कर पुरूषों की तरह खुले मुंह राजदरबार में जाती थी। यह इल्तुतमिश की पुत्री थी।
  4. तुर्की मूल की रज़िया को अन्य मुस्लिम राजकुमारियों की तरह सेना का नेतृत्व तथा प्रशासन के कार्यों में अभ्यास कराया गया, ताकि ज़रुरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके।
  5. रज़िया सुल्ताना मुस्लिम एवं तुर्की इतिहास कि पहली महिला शासक थीं।
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