Rakhiye aangan kuti chhawaye bin pani sabun bina nirmal kare subha
Answers
निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।
कबीर जी इस दोहे से समझाना चाहते है कि निंदा कने वाले वव्यक्ति को हमेशा अपने पास रखना चाहिए क्योंकि निंदा करने वाला व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति की बिना पानी और बिना साबुन से उसकी कमियां बता कर उसके स्वभाव को साफ कर देता है|
किसी और की निंदा करने से उस व्यक्ति की भलाई होती है| किसी की आलोचना करने से उसका भला ही होता है| किसी की बुराई की ओर उसकी ध्यान दिलाना उसके लिये अच्छा हो होता है|
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Nindak ki ninda se bhala hi hota hai iise rekhankit karte hue ek laghu katha likhiye
Answer:
निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी बधाई बिन सावन पानी बिना निर्मल करे सुभाय
Explanation:
कबीरदास जी कहते हैं कि जो व्यक्ति हमारी निंदा करता है अर्थात हमारी बुराइयों को कहने का साहस रखता है हमें उसे सदैव अपने पास अपने आंगन में उसका एक स्थाई निवास बनाकर रखना चाहिए| वह साबुन और पानी के बिना ही हमारे स्वभाव को निर्मल कर देगा क्योंकि वह हमें हमारे अवगुणों से हमें अवगत कराता है और हम उन गुणों को दूर करने की कोशिश करते हैं |