World Languages, asked by hc24657, 10 days ago

रमाबाई के बारे में संस्कृत में पांच वाक्य लिखिए फॉर क्लास सेवंथ​

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Answered by varshakumbhar62
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Answered by StylusMrVirus
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स्त्री शिक्षा की प्रणेता पंडिता रमाबाई का जन्म 1858 में हुआ था। संस्कृत शिक्षाओं का अभ्यास अक्सर महिलाओं द्वारा किया जाता है। लेकिन डोंगरे रुविषद्ध धरगण परित्याज्य स्वयं पत्नी संस्कृत मध्यपयत। एतदार्थ स समाजस्य प्रतरनाम अपि असहत । अनंतराम राम अपि स्वमतुः संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की।

स्त्री शिक्षा की अग्रदूत सरलार्थ पंडिता रमाबाई का जन्म 1858 ई. में हुआ था। उनके पिता अनंत शास्त्री और माता लक्ष्मीबाई थीं। उस समय नारी शिक्षा की स्थिति चिन्ताजनक थी, स्त्रियों के लिए संस्कृत शिक्षा का प्रचलन नहीं था। लेकिन डोंगरे ने रूढ़िवादी परंपरा को त्याग दिया और अपनी पत्नी को संस्कृत सिखाई। इसके लिए उन्होंने समाज की सजा भी झेली। इसके बाद राम ने भी अपनी माता से संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की।

कालक्रमेण रमयः पिता विपन्नाः संजातः। तस्य: पितृ ज्येष्ठा बहन च दुर्भिक्षपीदिता दिवाग्ता: तदनंतराम स्व-ज्येष्ठभात्र सा पद्भ्यं समयं भारतम् अब्राम भ्रमक्रमे सा कोलकाता प्रत्य संस्कृत वैदुष्येन सा तत्र 'पंडिता' 'सरस्वती' चेति आप्याभ्यं विभूशिता। तत्रयव स ब्रह्मसमाजें प्रभिता वेदाध्यायनं आक्रोत पोच्र सा स्त्रीणं कृते वेदादिनन शास्त्रां शिक्षाय आंदोलन प्रारब्धावती।

समय बीतता गया, राम के पिता गरीब हो गए। अकाल के कारण उनके माता-पिता और बड़ी बहन की मृत्यु हो गई। उसके बाद राम ने अपने बड़े भाई के साथ पैदल ही पूरे भारत की यात्रा की। सफर के दौरान वह कोलकाता पहुंचीं। संस्कृत की विदुषी होने के कारण उन्हें वहाँ 'पण्डिता' और 'सरस्वती' की उपाधियों से विभूषित किया गया। वहां उन्होंने ब्रह्म समाज से प्रभावित होकर वेदों का अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने स्त्रियों के लिए वेदों और शास्त्रों की शिक्षा के लिए आन्दोलन चलाया।

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