रमणिया में प्रकृति प्रत्यय अलग कीजिए
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प्रश्न 1.
अधोलिखितेषु पदेषु प्रकृति-प्रत्ययौ लिखतु- (निम्नलिखित पदों में प्रकृति-प्रत्यय लिखिए-)
(i) नीत्वा, (ii) आगम्य, (iii) पठित्वा, (iv) सम्भूय, (v) अर्चितः, (vi) स्नातवत्, (vii) त्यक्तः, (xiii) गच्छत्, (ix) ददानः, (xi) कुर्वाण:, (xii) द्रष्टव्यम्, (xiii) भनीयम्, (xiv) पातुम्, (xv) कारकः, (xvi) ज्ञेयः, (xii) मन्त्री, (xviii) स्तुतिः।
उत्तर:
(i) नी + क्त्वा (ii) आ + गम् + ल्यप् (iii) पठ् + क्त्वा (iv) सम् + भू + ल्यप् (v) अर्च + क्त (vi) स्नात् + क्तवतु (vii) त्यज् + क्त (viii) गम् + शतृ (ix) दा + शानच् (x) हृ + शतृ (xi) कृ + शानच् (xii) दृश् + तव्यत् (xiii) भू + अनीयर् (xiv) पा + तुमुन् (xv) कृ + ण्वुल् (xvi) ज्ञा + यत् (xvii) मन्त्र + णिनि (xviii) स्तुत् + ङीष्।
अभ्यास: 2
प्रश्न-अधोलिखितेषु पदेषु प्रकृति-प्रत्ययौ योजयित्वा पद-निर्माणं कुरुत
(i) कृ+तृय्, (ii) दण्ड + इनि, (iii) रेवती + ठक्, (iv) शिव + अण्, (v) भस्म + मयट्, (vi) पटु + तर, (vii) लघु + तमप्, (viii) कोकिल + टाप्, (ix) नर्तक + क्ती, (x) भव + क्ती, (xi) मूषक + टाप्, (xii) गोप + ङीष्।
उत्तर:
(i) कर्तृ (ii) दण्डिन (iii) रैवतिकः (iv) शैवः (v) भस्ममयम् (vi) पटुतरः (vii) लघुतमः (viii) कोकिला (ix) नर्तकी (x) भवानी (xi) मूषिका (xii) गोपी।
रमणिया में प्रकृति प्रत्यय
रम् + अनीयर् + टाप्
Explanation:
इसका प्रयोग हिन्दी भाषा के 'चाहिए' अथवा 'योग्य' इस अर्थ में होता है। ... यह प्रत्यय कर्मवाच्य अथवा भाववाच्य में ही होता है।
अनीयर् प्रत्ययान्त शब्दों के रूप पुँल्लिङ्ग में राम-वत्, स्त्रीलिङ्ग में रमा-वत् और नपुंसकलिङ्ग में फल-वत् चलते हैं।)