Ramayan ka pura Charitra short mein answer do
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जब भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक होने वाला था तब भरत अपने छोटे भाई शत्रुघ्न के साथ कैकेय राज्य में थे (Bharat in Ramayan in Hindi)। उन्हें कैकेय से समाचार मिला था कि उनके नाना अश्वपति का स्वास्थ्य आजकल ख़राब चल रहा है इसलिये वे उनका हाल चाल जानने वहां चले गए थे (Qualities of Bharata in Ramayana in Hindi)। पीछे से उनकी माँ कैकेयी ने अपनी दासी मंथरा की चालों में आकर भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास दिलवा दिया व भरत को अयोध्या का राजा नियुक्त करवा दिया। इसी दुःख में भरत के पिता राजा दशरथ ने अपने प्राण त्याग दिए थे (Bharat Ram ka prem vyakhya)।
दशरथ के प्राण त्यागते ही कैकेय राज्य में तुरंत अयोध्या के दूत भेज कर भरत को बुलावा भेजा गया (Bharat Ramayan)। भरत अभी तक सभी बात से अनभिज्ञ थे व अयोध्या आकर उन्हें पता चला कि उनके पीछे महल में किस प्रकार के षड़यंत्र रचे गये जिस कारण उनके प्रिय भाई को वनवास मिला व पिता की मृत्यु हो गयी (Ram ke bhai Bharat)। इसके बाद उन्होंने निम्न कार्य किये:
भगवान राम के वनवास जाने के बाद भरत (Bharat ka charitra chitran)
#1. अयोध्या का राज सिंहासन ठुकराना (Bharat Ayodhya)
उन्होंने उसी समय अयोध्या का राज सिंहासन ठुकरा दिया व अयोध्या की प्रजा से क्षमा मांगी। उन्होंने अयोध्या का राजा केवल और केवल भगवान श्रीराम को माना व स्वयं को उनका दास बताया। यह सूचना उन्होंने अपने सभी मंत्रियों, गुरुओं तक भी पहुंचा दी।
#2. माता कैकेयी का त्याग (Bharat and Kaikeyi)
इसके बाद उन्होंने इस षड़यंत्र के लिए उत्तरदायी अपनी माँ कैकेयी का त्याग कर दिया व उन्हें माँ मानने से मना कर दिया। उन्होंने हमेशा के लिए कैकेयी का त्याग किया व उनके कक्ष में आने से मना कर दिया। साथ ही उन्होंने अपनी माँ को कहा कि वह अब उनका मुख कभी नही देखेंगे।
#3. मंथरा को दंड (Bharat and Manthara)
शत्रुघ्न मंथरा को भरी सभा में घसीटकर लेकर आये व उसकी हत्या करने लगे किंतु भरत ने उन्हें स्त्री हत्या करने से रोका व कहा कि यह भगवान श्रीराम के आदर्शों के विरुद्ध है। इसलिये उन्होंने मंथरा को एक कमरे में बंद कर दिया व भगवान राम के लौटने पर उसका दंड निर्धारित करने का निर्णय लिया।
#4. दशरथ का अंतिम संस्कार (Dashrath death)
चूँकि दशरथ के दो पुत्रों (राम व लक्ष्मण) को वनवास हुआ था व दो पुत्र (भरत व शत्रुघ्न) कैकेय में थे इसलिये उनका अंतिम संस्कार नही हो पाया था। बहुत दिनों तक उनका शव तेल न अन्य दिव्य पदार्थों की सहायता से सुरक्षित रखा गया था। इसलिये भरत ने सर्वप्रथम अपन पिता के शव का दाह संस्कार किया व उन्हें मुखाग्नि दी।
#5. राम भरत मिलन (Ram Bharat milap Ramayan in Hindi)
इसके बाद भरत अपने परिवार, गुरु व सेना के साथ भगवान श्रीराम को वापस लेने चित्रकूट गये (Ram Bharat milap story in Hindi)। वहां जाकर उन्होंने भगवान श्रीराम से क्षमा मांगी व उन्हें वापस अयोध्या चलने को कहा किंतु भगवान श्रीराम ने अपना पिता को दिये वचन के अनुसार वापस चलने से मना कर दिया। इसलिये भरत केवल उनकी चरण पादुका लेकर वापस लौट आये।
#6. सिंहासन पर राम चरण पादुका (Shri Ram charan paduka)
अयोध्या आकर उन्होंने भगवान श्रीराम के चरणों की पादुका को सिंहासन पर रखा व उसे ही सांकेतिक रूप से राम का अंग मानकर अयोध्या का राज सिंहासन संभाला।
#7. वनवासी का जीवन (Nandigram Ramayana)
चूँकि भगवान श्रीराम ने भरत को 14 वर्षों तक अयोध्या को सँभालने का आदेश दिया था इसलिये भरत ने अयोध्या का राज सिंहासन तो संभाला लेकिन श्रीराम की तरह वनवासी रहते हुए (Nandigram Ayodhya Hindi)। उन्होंने अपना सब राजसी सुख त्याग दिया व अयोध्या के समीप नंदीग्राम वन में एक कुटिया बनाकर रहने लगे।
#8. भगवान राम से नीचे सोना (Bharat ka tyag)
चूँकि भगवान श्रीराम वन में भूमि पर सोते थे इसलिये भरत ने भूमि पर एक फीट का गड्डा किया व भगवान श्रीराम से नीचे सोना चुना। उनका स्थान भगवान श्रीराम से नीचे था इसलिये वे उनसे भी नीचे सोते थे।
#9. एक दिन की देरी तो भरत का आत्म दाह
जब चित्रकूट में भरत श्रीराम से मिले थे तो उन्होंने उनसे वचन लिया था कि यदि वे 14 वर्ष समाप्त होने के पश्चात एक दिन की भी देरी करेंगे तो वे अपना आत्म दाह कर लेंगे।
#10. अयोध्या का राज श्रीराम को (Rama returns to Ayodhya)
जब प्रभु श्रीराम 14 वर्षों के पश्चात पुनः अयोध्या लौटे तो भरत ने उन्हें वैसी ही अयोध्या लौटाई जिस प्रकार वे छोड़कर गए थे। इस प्रकार भरत ने अपने भाई का संपूर्ण कर्तव्य निभाया व धर्म की स्थापना में अपना अमूल्य योगदान दिया।