ramdhari singh dinkar ji ki kavita chahiye mujhe jo hai garv se kaho bhartiya ho
Answers
Answer:
. भारत का यह रेशमी नगर
भारत धूलों से भरा, आंसुओं से गीला, भारत अब भी व्याकुल विपत्ति के घेरे में.
दिल्ली में तो है खूब ज्योति की चहल-पहल, पर, भटक रहा है सारा देश अँधेरे में.
रेशमी कलम से भाग्य-लेख लिखनेवालों, तुम भी अभाव से कभी ग्रस्त हो रोये हो?
बीमार किसी बच्चे की दवा जुटाने में, तुम भी क्या घर भर पेट बांधकर सोये हो?
असहाय किसानों की किस्मत को खेतों में, कया जल मे बह जाते देखा है?
क्या खाएंगे? यह सोच निराशा से पागल, बेचारों को नीरव रह जाते देखा है?
देखा है ग्रामों की अनेक रम्भाओं को, जिन की आभा पर धूल अभी तक छायी है?
रेशमी देह पर जिन अभागिनों की अब तक रेशम क्या? साड़ी सही नहीं चढ़ पायी है.
पर तुम नगरों के लाल, अमीरों के पुतले, क्यों व्यथा भाग्यहीनों की मन में लाओगे?
जलता हो सारा देश, किन्तु, होकर अधीर तुम दौड़-दौड़कर क्यों यह आग बुझाओगे?
चिन्ता हो भी क्यों तुम्हें, गांव के जलने से, दिल्ली में तो रोटियां नहीं कम होती हैं
धुलता न अश्रु-बुंदों से आंखों से काजल, गालों पर की धूलियां नहीं नम होती हैं.
जलते हैं तो ये गांव देश के जला करें, आराम नयी दिल्ली अपना कब छोड़ेगी?
या रक्खेगी मरघट में भी रेशमी महल, या आंधी की खाकर चपेट सब छोड़ेगी.