रस की परिभाषा एवं उसके प्रकार लिखिए।
अंक 02
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रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है उसे रस कहा जाता है। रस को काव्य की आत्मा माना जाता है
प्राचीन भारतीय वर्ष में रस का महात्वपूर्ण स्थान था ।
रस - संचार के बिना कोई भी प्रयोग सफल नहीं किया जा सकता था रस के कारण कविता के पठन, श्रवण और नाटक के अभिनय से देखने वाले लोगों को आनन्द मिलता है।
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