Hindi, asked by vijaykumari27700, 3 months ago

रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।
जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।
पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।
जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।।​

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Answered by maananju506
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Answer:

इस पंक्ति मे कवि कह रहे है कि उसके मन मे घर जाने कि इच्छा है

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