Hindi, asked by manoj22580ti, 2 months ago

रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।
जाने कब सुन मेरी पुकार, करें दः भवसागर पार।
रही टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्र.स हो रहे मेरे।
जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।।​

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Answered by chhaya364
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Answer:

रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव। जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार्। पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे। जी में उठती रह रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे॥

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