रसास्वादन आधुनिक जीवन शैली के कारण समस्या
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अर्थप्रधान एवं अतिव्यस्त आधुनिक जीवन शैली अपनाने के कारण आज का मानव न चाहते हुए भी दबाव एवं तनाव, अविश्राम, अराजकता, रोग ग्रस्त, अनिद्रा, निराशा, विफलता, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या तथा अनेकानेक कष्टपूर्ण परिस्थितियों में जीवन निर्वाह करने के लिए बाध्य हो गया है। जल, वायु, ध्वनि तथा अन्न प्रदूषण के साथ-साथ ऋणात्मक दुर्भावनाओं का भी वह शिकार बन चुका है। परिणामस्वरूप अनेकानेक शारीरिक रोगों के साथ-साथ मानसिक असंतुलन, चिंताएं, उदासी, सूनापन एवं दुर्भावनात्मक विचार उसे चारों ओर से घेर लेते हैं। उसके मन की शान्ति भंग हो जाती है लेकिन इन परिस्थितियों का दृढ़ता के साथ सामना करने के लिए हमारी भारतीय पौराणिक योग पद्धति सहायता कर सकती हैं।
तथ्य तो यह है कि मानव अस्तित्व का मुख्य उद्देश्य एक मात्र योग है। उसका प्रादुर्भाव योग में रहने के लिए हुआ है। योग साधना को यदि अपने जीवन का अभिन्न अंग बना दिया जाए तो यह मानव की खोई हुई राजसत्ता की पुनर्प्राप्ति का आश्वासन देता है एवं पुन: अनन्त सत्य के साथ जीवन जीने की कला सिखाता है। योग स्वयं जीवन का संपूर्ण सद्विज्ञान है। योग हमारे सभी शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक कष्टों एवं रोगों से मुक्ति दिलाता है। यह परिपूर्णता एवं अखण्ड आनंद के लिए वचनबद्ध है।