Hindi, asked by rohank2555, 11 months ago

"रश्मिरथी खण्डकाव्य में कवि का मुख्य मन्तव्य कर्ण के चरित्र के शील पक्ष, मैत्री भाव तथा शौर्य का चित्रण करना है।" सिद्ध कौजिए।

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UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 3 रश्मिरथी

November 29, 2018 by Safia

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 3 रश्मिरथी (रामधारी सिंह दिनकर) are part of UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 3 रश्मिरथी (रामधारी सिंह दिनकर).

Board UP Board

Textbook NCERT

Class Class 12

Subject Samanya Hindi

Chapter Chapter 3

Chapter Name रश्मिरथी (रामधारी सिंह दिनकर)

Number of Questions 4

Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 3 रश्मिरथी (रामधारी सिंह दिनकर)

प्रश्न 1.

‘रश्मिरथी’ खण्डकाव्य की कथावस्तु (कथानक) का संक्षेप में परिचय लिखिए। [2009, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17]

या

‘रश्मिरथी’ की कथा (सारांश) अपने शब्दों में लिखिए। [2011, 12, 13, 14, 16]

या

‘रश्मिरथी’ के प्रथम सर्ग की कथा अपने शब्दों में लिखिए। [2017, 18]

या

‘रश्मिरथी’ खण्डकाव्य के द्वितीय सर्ग का सारांश अपने शब्दों में लिखिए। [2016, 18]

या

‘रश्मिरथी’ के तृतीय सर्ग का कथानक अपने शब्दों में लिखिए। [2013, 14, 15, 16]

या

‘रश्मिरथी’ के द्वितीय और तृतीय सर्ग में कृष्ण और कर्ण के संवाद में दोनों के चरित्र की कौन-सी प्रमुख विशेषताएँ प्रकट हुई हैं ? स्पष्ट कीजिए।

या

‘रश्मिरथी’ के चतुर्थ सर्ग की कथावस्तु का संक्षेप में सोदाहरण वर्णन कीजिए।

या

‘रश्मिरथी’ के पंचम सर्ग में कुन्ती-कर्ण के संवाद का सारांश अपने शब्दों में लिखिए। [2011, 12, 13, 14, 15]

या

‘रश्मिरथी’ के पाँचवें (पंचम) सर्ग की कथा (कथावस्तु) अपने शब्दों में लिखिए। [2015, 16]

या

‘रश्मिरथी’ के आधार पर उसके प्रथम और द्वितीय सर्गों की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।

या

‘रश्मिरथी’ के आधार पर सप्तम सर्ग (कर्ण के बलिदान) की कथा संक्षेप में लिखिए। [2011, 14, 15, 16, 17, 18]

या

‘रश्मिरथी’ में वर्णित कर्ण और अर्जुन के युद्ध का सोदाहरण वर्णन कीजिए। [2010, 11]

उत्तर

श्री रामधारीसिंह ‘दिनकर’ द्वारा विरचित खण्डकाव्य ‘रश्मिरथी’ की कथा महाभारत से ली गयी है। इस काव्य में परमवीर एवं दानी कर्ण की कथा है। इस खण्डकाव्य की कथावस्तु सात सर्गों में विभाजित है, जो संक्षेप में निम्नवत् है-

प्रथम सर्ग : कर्ण का शौर्य-प्रदर्शन

प्रथम सर्ग के आरम्भ में कवि ने अग्नि के समान तेजस्वी एवं पवित्र पुरुषों की पृष्ठभूमि बनाकर कर्ण का परिचय दिया है। कर्ण की माता कुन्ती और पिता सूर्य थे। कर्ण कुन्ती के गर्भ से कौमार्यावस्था में उत्पन्न हुए थे, इसलिए कुन्ती ने लोकलाज के भय से उस नवजात शिशु को नदी में बहा दिया, जिसे एक निम्न जाति (सूत) के व्यक्ति ने पकड़ लिया और उसका पालन-पोषण किया। सूत के घर पलकर भी कर्ण शूरवीर, शीलवान, पुरुषार्थी और शस्त्र व शास्त्र मर्मज्ञ बने।

एक बार द्रोणाचार्य ने कौरव व पाण्डव राजकुमारों के शस्त्र-कौशल का सार्वजनिक प्रदर्शन किया। सभी लोग अर्जुन की बाण-विद्या पर मुग्ध हो गये, किन्तु तभी धनुष-बाण लिये कर्ण भी सभा में उपस्थित हो गया और उसने अर्जुन को द्वन्द्व-युद्ध के लिए चुनौती दी

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