रत्नम की कहानी और 1989 के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों को दोबारा पढ़िए। अब एक कारण बताइए कि रत्नम ने इस कानून के तहत शिकायत क्यों दर्ज कराई।
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रत्नम की कहानी और 1989 के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत रत्नम ने शिकायत निम्नलिखित कारणों से दर्ज कराई :
रत्नम अनुसूचित जाति से संबंध रखता था। रत्नम को पुजारियों के पैर धोने तथा उसी पानी से नहाने के लिए कहा गया । परंतु रत्नम ने ऐसा करने से मना कर दिया। उसने कहा कि उसे इस प्रकार के रीति रिवाज में कोई विश्वास नहीं है। रत्नम के इंकार ने गांव की ऊंची जातियों के लोगों को क्रोधित कर दिया। ऊंची जाति के लोगों ने रत्नम को सबक सिखाने का निश्चय किया । उसके समुदाय के लोगों को रत्नम एवं उसके परिवार का बहिष्कार करने का आदेश दिया गया । यहां तक कि एक रात को उसके घर को आग लगा दी गई। हालांकि वह और उसकी माता बच गए । वे स्थानीय पुलिस स्टेशन गए तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम (अत्याचार निरोधक) 1989 के अंतर्गत केस दर्ज करवाया। समाचार माध्यमों ने भी इस मुकदमे का समर्थन किया। अतः इस रस्म को समाप्त कर दिया गया।
समाज के पिछड़े एवं कमजोर लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था तथा उन्हें अपमानित किया जाता था। अतः अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम (अत्याचार निरोधक) कानून 1989 पास किया गया। इस कानून को पास करने का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जातियों एवं जनजाति के विरुद्ध होने वाले अत्याचारों को रोकना था , जो लोग इस प्रकार करते हैं , उनके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही करना।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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♕︎ (779348351)