Social Sciences, asked by gopalkgp7030, 1 year ago

सी.के. जानू और अन्य आदिवासी कार्यकर्ताओं को ऐसा क्यों लगता है कि आदिवासी भी अपने परंपरागत संसाधनों के छीने जाने के खिलाफ़ 1989 के इस कानून का इस्तेमाल कर सकते हैं? इस कानून के प्रावधानों में ऐसा क्या खास है। जो उनकी मान्यता को पुष्ट करता है?

Answers

Answered by nikitasingh79
3

Answer with Explanation:

सी.के. जानू और अन्य आदिवासी कार्यकर्ताओं को ऐसा इसलिए लगता है कि आदिवासी भी अपने परंपरागत संसाधनों के छीने जाने के खिलाफ़ 1989 के इस कानून का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि 1989 के एक्ट के अनुसार , आदिवासी की जमीन किसी गैर आदिवासी को न तो बेची जा सकती है और न ही खरीदी जा सकती है । यहां तक कि संविधान भी आदिवासियों को अपनी जमीन अधिग्रहित करने का अधिकार देता है।

आदिवासी कार्यकर्ताओं ने यह कहा कि अधिग्रहित जमीन की रक्षा करो, जो कि परंपरागत तौर पर उनकी है । कार्यकर्ताओं ने कहा कि यदि कोई उनकी जमीन जबरदस्ती हड़पना चाहेगा तो 1989 के एक्ट के अनुसार उसे सजा मिलेगी।  

सी.के. जानू के अनुसार कई राज्य सरकारें भी इस संवैधानिक अधिकार की अवहेलना करती हैं।

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :

दो ऐसे मौलिक अधिकार बताइए जिनका दलित समुदाय प्रतिष्ठापूर्ण और समतापरक व्यवहार पर जोर देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इस सवाल का जवाब देने के लिए पृष्ठ 14 पर दिए गए मौलिक अधिकारों को दोबारा पढ़िए।

https://brainly.in/question/11145239

रत्नम की कहानी और 1989 के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों को दोबारा पढ़िए। अब एक कारण बताइए कि रत्नम ने इस कानून के तहत शिकायत क्यों दर्ज कराई।

https://brainly.in/question/11145253

Answered by rsy198422
2

Answer:

सी. के. जानू और अन्य आदिवासी कार्यकर्ताओं को ऐसा इसलिए लगता है कि आदिवासी भी अपने परंपरागत संसाधनों के छीने जाने के खिलाफ़ 1989 के इस कानून का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि 1989 के एक्ट के अनुसार , आदिवासी की जमीन किसी गैर आदिवासी को न तो बेची जा सकती है और न ही खरीदी जा सकती है ।11-Jul-2019

Similar questions