Hindi, asked by baidyaakash6, 10 months ago

रविदास जी की रचनाओं में ध्यान में रखते हुए पड़े जाना कार्य​

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Answered by maniyachawla12
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श्रीप्रकाश शुक्ल बीएचयू के हिंदी विभाग में प्रोफेसर व कवि हैं। इन्होंने रविदास की रचनाओं पर वृहद शोध किया है। यहां उन्‍होंने रविदास के विचारों के बारे में बताया है। कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै। तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक ह्वै चुनि खावै। इन विचारों का आशय यह है कि ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है। अभिमान तथा बड़प्पन का भाव त्याग कर विनम्रतापूर्वक आचरण करने वाला मनुष्य ही ईश्वर का भक्त हो सकता है। विशालकाय हाथी शक्कर के कणों को चुनने में असमर्थ रहता है, जबकि छोटे शरीर की पिपीलिका (चींटी) इन कणों को सरलतापूर्वक चुन लेती है। ये विचार संत रविदास के हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक बुराइयों को खत्म किया तथा व्यक्ति को धार्मिक कर्मकांड करने की बजाय कर्मयोगी बनने के लिए प्रेरित किया।

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