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भारतीय सभ्यता और संस्कृति में नदियों का खास महत्व रहा है य एक अच्छी सभ्यता से समाज विकसित होता है और वह कुछ सिद्धांत निर्मित करते हैं । जीवन के सिद्धांतों में अहम होते हैं- प्रकृति से उसका लेना-देना,
पंचतत्वों से उसका रिश्ता । ये सब मिलकर हमारी संस्कृति का निर्धारण करते हैं । हमारी सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ है । हमारी संस्कृति इन्हीं किनारों पर फली-फूली हैं । इसलिए हम इसे गंगा की
सभ्यता कहते हैं । इसलिए हम खुद को गंगा-जमुना संस्कृति से जोड़ते हैं। देखा जाए, तो नदी किनारे रहने वाला समाज के, जन्म से मरण तक, जो भी संस्कार होते थे, उससे संस्कृति का निर्माण होता था । इसलिए
नदियों का मानव सभ्यता के विकास में अमिट प्रभाव है । इसके बिना सभ्यता और संस्कृति की कल्पना ही नहीं की जा सकती है । भारत में नीर, नारी और नदी, तीनों का गहरा संबंध और सम्मान था । इन तीनों को
हमारे ऋषि-मुनियों ने पोषक माना है । इसलिए नारी और नदी को माँ का दर्जा दिया गया है, और नीर, यानी जल को जन्म से ही जोड़कर देखा जाता है । भारतीय संस्कृति में भी पोषण करने वालों को 'माँ' और शोषण
करने वालों को राक्षस' कहा गया है । देवता और दानव के बीच अंतर की यह सोच, जो अनादिकाल से चली आ रही है, यहीं से आई है । दरअसल, नदियों के किनारे, नदियों के साथ, जो जैसा व्यवहार करता था,
उसी) के आधार पर उसे देवता या दानव, मनुष्य बोलने लगते थे । अगर इनसान भी नदियों को पवित्र रखने का काम करता था, तो उसे देवता, कहा जाता था और अगर उसने उसको गंदा करने का काम किया, तो
उसे दानव', यानी राक्षस माना जाता । यह धारणा भी बलवती है कि राक्षसों के राक्षसीपन को रोकने के लिए उस काल के विद्वान, राजा और जन-सामान्य नदियों की गंदगी और पवित्रता को बनाए रखने हेतु वैचारिक
मंथन किया करते थे । इनसान ने इसे अपनी बोली-भाषा में कुंभ कहा । यह कुंभ नदियों के साथ सच्चाई और बुराई के साथ नियम और नीति का निर्धारण करता था । इस कुंभ, कुंभ मेला या कुंभ सान का स्थान इतना
सर्वोपरि था । लेकिन आज यह कुंभ एक स्नान भर बनकर रह गया है।
(1) भारतीय सभ्यता को गंगा-जमुना सभ्यता से क्यों जोड़ते हैं? (2 marks)
(ii) हमारी संस्कृति का निर्धारण कौन करते हैं? (2 marks)
(iii) सभ्यता और संस्कृति की कल्पना किसके बिना नहीं की जाती है? (2 marks)
(iv) मनुष्य को देवता या राक्षस कैसे माना जाता था? (2 marks)
(v) कुंभ क्या निर्धारण करता था? (1 mark)
(vi) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक लिखिए । (1 mark)
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Answer:
(i) क्योंकि हमारी सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ है। हमारी संस्कृति इन्ही किनारों पर फली फूली है।
(ii) जीवन के सिद्धांत। प्रकृति से लेना देना , पंचतत्वों से उसका रिश्ता । ये सब मिलकर हमारी संस्कृति का निर्धारण करते हैं।
(iii) नदियों के बिना सभ्यता और संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती।
(IV) जो जैसा व्यवहार करता है उसी के आधार पर मनुष्य को देवता या राक्षस माना जाता है।
(v) कुंभ नदियों के साथ सच्चाई और बुराई के साथ नियम और निति का निर्धारण करता है।
(vi) भारतीय सभ्यता और संस्कृति ।
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