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विद्यार्थी चीवन मों अनुशासन का बहुत महत्व है। अनूशासन ही विद्यार्थी की उन्नति का एक मात्र द्वार है। इसी से समाज के साथ-साथ एक उन्नत राष्ट्र का निर्माण हेता है। आज के समय में विद्यार्थी में अनुशासन का ह्रास होता हुआ दिखाई दे रहा है , जो कि चिंता का विषय है। कुछ छात्र बिना पढ़ाई-लिखाई के ही अगली कक्ष में आ जाना चाहते हैं या फिर गलत तरीके से परीक्षा में उत्तीर्ण होना चाहते हैं। स्कुल तथा काॅलेजों, सभी में अनशासनहीनता आज साफ़ नज़र आती है। इस अनुशासनहीनता के लिए कहीं-न-कहीं हमारी शिक्ष-प्रणाली भी दोषपूर्ण है। माता - पीता भी कामकाजी होने के कारण अपने सज्जनों को सही मार्गदर्शन देने से चूक जाते हैं। विद्यार्थी के अभिभावक और अधयापकें में संप्रेषण का अभाव रहता है। कहने का अर्थ है कि सभी की भूमिका में दोष आ जाने के कारण आज समाज में हर स्तर पर अनूशासन की समी दिखाई देती है। विद्यार्थियों में अनुशासीत रहने की भावना जाग्रत करने के लिए आवश्यक है कि शिक्ष -तदधति के प्रतयेक पहलुओं का सुधार हो। समय-समय पर अभिभावकों से मिलकर छात्रों में अनशासनहीनता को दूर किया जा सकता है। शिक्षक एक अहम भूमिका निभा सकता है।
क ) अन्नत राष्ट्र का निर्माण किस प्रकार होता है ?
ख ) बिना पढ़ाई - लिखाई के या गलत तरीके से उत्तर होना किस बात का लक्षण है ?
ग ) अनशासनहीनता कहाँ-कहाँ पर दिखाई देता है
घ ) अनशासनहीनता के लिए माता-पीता तथा अभिभावकगण किस प्रकार ज़िम्मेदार हैं ?
ङ ) विदयारथियों में अनुशासन की भावना जाग्रत करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए ?
च ) प्रस्तुत गदयांश का उपयुक्त शीर्षक लिखित।
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(क) उन्नत राष्ट्र का निर्माण अच्छे से शिक्षा ग्रहण करके होता है गलत तरीके से शिक्षा में उत्तर नहाने से कुछ नहीं होता अगर इस तरह से शिक्षा प्राप्त की जाती है शिक्षक की कोई वैल्यू ही नहीं रखती उन्नत राष्ट्र के लिए पढ़ना बहुत जरूरी है पर उसे भी जरूरी है rast मैं अच्छी शिक्षा प्रदान की जाए
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