Read the passage given below and answer in Hindi the questions that follow
using your own words as far as possible.
एक संत अपने शशष्यों के साथ यात्रा पर ननकिे। उनकी यात्रा का उद्देश्य था –
िोर्ों में आत्मववश्वास जर्ाना और भेद-भाव भिु ाकर परस्पर भाई-चारा प़ैदा करना। वे
चाहते थे कक श्रम करने वािे हर आदमी के पास भूशम हो। हर र्ााँव में िोर् शमि-बााँटकर
खाएाँऔर सुख से रहें।
यात्रा के बाद शाम को वे ककसी र्ााँव में ठहर जाते। भजन-कीतान करते, िोर्ों का
सुख-दखु बााँटते, उन्हें श्रेष्ठ जीवन का मार्ा बताते और सुबह होते ही अर्िे र्ााँव के शिए
चि पड़ते।
ऐसे ही एक सुबह थी। संत अपने शशष्यों के साथ चिे जा रहे थे। रास्ता खेतों के
बीच से होकर जाता था। शीति और सुर्ंधित पवन बह रही थी। र्ेहूाँ की फसि पक
चुकी थी। पक्षी जार् उठे थे। उनमें दाना चुर्ने की होड़ िर्ी हुई थी। मिुर किरव से
सारा वातावरण संर्ीतमय हो उठा था।
संत के एक शशष्य ने दसू रे से कहा, “देख रहे हो इस खेत के माशिक को, घर में
च़ैन की नींद सो रहा होर्ा। इिर ये पक्षी उसके खेत में प्रीनतभोज का आनंद िे रहे हैं।
जब उठेर्ा और अपने खेत देखेर्ा तो आठ-आठ आाँसूरोयेर्ा।”
“क्जसने इतनी मेहनत करके फसि उर्ाई ह़ै, वह घर में क्यों सो रहा होर्ा? इस
खेत का ककसान ककसी काम से इिर-उिर ही र्या होर्ा?” दसू रे शशष्य ने उत्तर ददया।
“मुझे नहीं िर्ता कक वह ककसी काम से इिर-उिर र्या होर्ा। वह ज़रूर यहीं-
कहीं सो रहा होर्ा।” पहिे शशष्य ने दसू रे की बात काटते हुए कहा।
संत ने उन दोनों की बातें सुनीं और मुस्कुराकर बोिे, “आपस में बहस करने से
क्या फायदा? थोड़ी देर यहीं रुको, सच्चाई अपने आप सामने आ जाएर्ी।”
तभी संत के कानों में भजन की तान सुनाई पड़ी। वास्तव में खेत की रखवािी
करने वािा ककसान वहााँ मौजूद था। उसने भी संत की यात्रा के बारे में सुन रखा था।
आहट पाकर वह बाहर ननकिा और कफर उसने आदर भाव से संत को प्रणाम ककया।
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