Reedh ki haddi play by jagdish Chandra mathur in poem form
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इस नाटक में दो मुख्य पात्र हैं; उमा और शंकर। दोनों एक दूसरे के विपरीत हैं। एक ओर उमा के पास स्वाभिमान है तो दूसरी ओर शंकर पास स्वाभिमान की सख्त कमी है। यहाँ पर ‘रीढ़ की हड्डी’ उसी स्वाभिमान का सूचक है। इसलिए यह शीर्षक इस नाटक पर सटीक बैठता है।
इस एकांकी का उद्देश्य है समाज की विडंबनाओं को दिखाना। एक ओर समाज आगे बढ़ने की इच्छा रखता है तो दूसरी ओर उसकी बेड़ियाँ उसे आगे नहीं बढ़ने दे रही हैं। लेकिन हर काल में हर समाज में कुछ ऐसे लोग आगे आते हैं जो पुरानी बेड़ियों को तोड़ने की कोशिश करते हैं।
इस एकांकी का उद्देश्य है समाज की विडंबनाओं को दिखाना। एक ओर समाज आगे बढ़ने की इच्छा रखता है तो दूसरी ओर उसकी बेड़ियाँ उसे आगे नहीं बढ़ने दे रही हैं। लेकिन हर काल में हर समाज में कुछ ऐसे लोग आगे आते हैं जो पुरानी बेड़ियों को तोड़ने की कोशिश करते हैं।
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