Relationship between mother and daughter in hindi
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अब पहले जैसी बात नहीं रही कि मां ने डांट-डपट दिया, आदेश दे दिया और बेटी ने नज़रें झुकाकर मान लिया. अब तस्वीर काफ़ी हद तक बदल चुकी है और बदलते व़क़्त के साथ मां ने बेटी के प्रति अपने व्यवहार व सोच को भी काफ़ी बदला है. लेकिन मां का यह बदला व्यवहार उसकी मजबूरी है या ज़रूरत, आइए जानते हैं.
मां-बेटी, एक ऐसा रिश्ता, जहां भावनाओं का समंदर बहता रहता है. वे एक-दूसरे से हर बात शेयर करती हैं, अपनी सोच व अपने विचारों को बांटती रहती हैं. मां अपनी बेटी को अपनी उम्मीदों व आशाओं की कड़ी के रूप में देखती है. इस रिश्ते के तार यदि एक तरफ़ बहुत ही मज़बूत धागे से बंधे होते हैं, तो वहीं इस रिश्ते में जटिलताएं भी कुछ कम नहीं होतीं. ऐसे में यह भी कहा जाता रहा है कि मां को मां ही बने रहना चाहिए. उसे बेटी के साथ दोस्ती का रिश्ता नहीं रखना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से मां का न तो वह सम्मान कर पाती है और न ही उसे कोई डर रहता है.
मां बेटी की रोल मॉडल होती है
बदलते समाज में मां-बेटी के रिश्ते में भी कई बदलाव आए हैं और निरंतर आ भी रहे हैं, ऐसे में यही सवाल उठता है कि क्या मां का बेटी से दोस्ती करना उसकी मजबूरी है या वाकई ज़रूरत है? मां बेटी की ज़िंदगी संवारने वाली नींव होती है और उसकी रोल मॉडल भी. वह उसका क़दम-क़दम पर मार्गदर्शन करती है और उस पर आवश्यकतानुसार बंधन भी लगाती है. इन सबके दौरान वह बेटी के मन में अपने लिए पनपते विद्रोह को भी झेलती है, क्योंकि वह जानती है कि वह जो भी कर रही है वह बेशक आज बेटी को बुरा लग रहा है, पर आगे चलकर वह उसकी भावनाओं की कद्र अवश्य करेगी.
ऐसी स्थिति में मां का बेटी के साथ दोस्ताना रिश्ता कायम करना मजबूरी नहीं है, न ही यह कहा जा सकता है कि यह वर्तमान समय की मांग है, जिसमें बढ़ते एक्सपोज़र ने युवा बेटी के सपनों को ऊंची उड़ान दे दी है, बल्कि यह एक ज़रूरत है. यही एकमात्र ऐसा रिश्ता है, जहां तमाम मतभेदों के बावजूद दोनों एक-दूसरे की केयर करती हैं. वे एक-दूसरे का दर्द समझती हैं, इसलिए मां होने की तमाम ज़िम्मेदारियों को निभाने के साथ मां का बेटी का दोस्त बन उसे गाइड करना ़ज़्यादा बेहतर ढंग होगा उसे जीवन में आनेवाली चुनौतियों का सामना करने का पाठ पढ़ाने के लिए. दोस्त बनने के लिए मां को अधिकार जताने के बजाय बेटी का विश्वास जीतना होगा. उसके दिल को जीतना होगा, ताकि वह बिना हिचके हर बात मां के साथ शेयर कर सके.
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माँ और बेटियाँ, एक आजीवन रिश्ता।
माताओं और बेटियों के बीच का रिश्ता महिलाओं को उनके जीवन के सभी चरणों में दृढ़ता से प्रभावित करता है। भले ही सभी महिलाएं मां नहीं बनतीं, लेकिन जाहिर तौर पर सभी बेटियां होती हैं, और बेटियों की मां होती है। यहां तक कि जो बेटियां कभी मां नहीं बनती उन्हें भी मातृत्व के मुद्दों का मुकाबला करना चाहिए, क्योंकि मातृत्व की संभावना और यहां तक कि संभावना भी बनी रहती है। फिर भी इस रिश्ते को अक्सर इतना महत्व दिया जाता है कि इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है, यहां तक कि खुद मां और बेटियां भी।
किसी भी बेटी के लिए, उसकी माँ के साथ रिश्ता उसके जीवन का पहला रिश्ता होता है, और वह सबसे महत्वपूर्ण भी हो सकता है।
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