Religious and ancient importance of festivals in hindi
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भूमिका:
व्यक्ति अपनी प्रसन्नता अनेक प्रकार से प्रकट करता है किन्तु व्यक्ति जब वही प्रसन्नता (Happiness) कुछ नियमों (Rules) में अपने आपको रखकर प्रकट करता है, तो वह धर्म (Religion) से जुड़ जाता है और उसका उल्लास (Gay) प्रकट करना त्यौहार (Festival) का स्वरूप ले लेता है ।
संस्कृत के महाकवि-साहित्यकार कालिदास ने मनुष्य को उत्सवप्रिय कहा है क्योंकि मनुष्य किसी न किसी तरह उत्सव मनाकर अपने मन की कुंठा (Frustration) को दूर करके मानसिक रूप से स्वस्थ (Mentally Fresh) होना चाहता है । इसीलिए जीवन में त्यौहारों का बडा महत्त्व है ।
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भूमिका:
व्यक्ति अपनी प्रसन्नता अनेक प्रकार से प्रकट करता है किन्तु व्यक्ति जब वही प्रसन्नता (Happiness) कुछ नियमों (Rules) में अपने आपको रखकर प्रकट करता है, तो वह धर्म (Religion) से जुड़ जाता है और उसका उल्लास (Gay) प्रकट करना त्यौहार (Festival) का स्वरूप ले लेता है ।
संस्कृत के महाकवि-साहित्यकार कालिदास ने मनुष्य को उत्सवप्रिय कहा है क्योंकि मनुष्य किसी न किसी तरह उत्सव मनाकर अपने मन की कुंठा (Frustration) को दूर करके मानसिक रूप से स्वस्थ (Mentally Fresh) होना चाहता है । इसीलिए जीवन में त्यौहारों का बडा महत्त्व है ।
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