review of baghban movie in hindi in 100 words
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Baghban film is a tale of a of a family where the parents (Amitabh and Hema) sacrifice everything to nurture their four children, only to be left uncared for when they grow old.
Raj Malhotra and his wife Pooja have raised a family of four sons who are now nicely settled in their respective professions. Their life is filled with love and prosperity, and all this has been possible because Raj has invested all his income including his provident fund and gratuity who according to him are his assets that would secure his future. But when he retires, life suddenly changes.
None of the four sons is ready to take their parents responsibility. To the extent Raj and Pooja then depend on the kindness of strangers. How Raj Malhotra through strife and hardship overcomes this turmoil and comes up a winner is central crux of Baghban.
Hope it help you !
Please mark as brainliest .
Raj Malhotra and his wife Pooja have raised a family of four sons who are now nicely settled in their respective professions. Their life is filled with love and prosperity, and all this has been possible because Raj has invested all his income including his provident fund and gratuity who according to him are his assets that would secure his future. But when he retires, life suddenly changes.
None of the four sons is ready to take their parents responsibility. To the extent Raj and Pooja then depend on the kindness of strangers. How Raj Malhotra through strife and hardship overcomes this turmoil and comes up a winner is central crux of Baghban.
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01Prachi:
plz mark as brainliest plzzzzzzzz
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बागवान एक बहुत ही खूबसूरत मूवी है, जिसमें माता - पिता और उनके संतानों के बीच के रिश्तों का चित्रण बहुत ही खूबसूरती से किया गया है । यह मूवी यह बताता है कि माँ - वार अपने कई बच्चों को एक साथ पाल सकते है, उनकी खुशी के लिए अपनी खुशी को भूल जाते है ।
जब यही बच्चे लायक बन जाते है और उनके माँ बाप बूढ़े हो जाते हैं, तो उन्हे कोई भी अपने साथ रखने से कतराता है ।
मूवी के अन्त में यह बात बतायी गयी है कि माँ बाप अगर बच्चो को बोझ लगते है ,तो वे इतने सक्षम है कि वे अपने आप को अच्छी तरह सा पाल सकते हैं और अपना ख्याल भी रख सकते है, उन्हे बच्चो के सहारे की जरूरत नहीं है । इस मूवी में पिता का चित्रण बहुत ही सुन्दर तरीके से किया गया है, वो यह कहकर बच्चो को त्याग देता है कि जब वह चार बच्चों को पाल सकता हे तो वह खुद और अपनी पत्नी का भी अच्छी तरह से ख्याल रख सकता है, उन्हे कमजोर बिलकुल ना समझा जाए ।
जब यही बच्चे लायक बन जाते है और उनके माँ बाप बूढ़े हो जाते हैं, तो उन्हे कोई भी अपने साथ रखने से कतराता है ।
मूवी के अन्त में यह बात बतायी गयी है कि माँ बाप अगर बच्चो को बोझ लगते है ,तो वे इतने सक्षम है कि वे अपने आप को अच्छी तरह सा पाल सकते हैं और अपना ख्याल भी रख सकते है, उन्हे बच्चो के सहारे की जरूरत नहीं है । इस मूवी में पिता का चित्रण बहुत ही सुन्दर तरीके से किया गया है, वो यह कहकर बच्चो को त्याग देता है कि जब वह चार बच्चों को पाल सकता हे तो वह खुद और अपनी पत्नी का भी अच्छी तरह से ख्याल रख सकता है, उन्हे कमजोर बिलकुल ना समझा जाए ।
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