Right in diary in hindi
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दैनंदिनी-लेखन (Diary Writing)
'दैनंदिनी' अर्थात 'जो प्रतिदिन लिखी जाए'। हर दिन की विशेष घटनाएँ-प्रिय अथवा अप्रिय, जिन्होंने भी मन पर प्रभाव छोड़ा हो, दैनंदिनी में लिखी जाती हैं।
दैनंदिनी लिखने का उद्देश्य :
(1) व्यक्ति जो बात दूसरों को समझा पाने अथवा व्यक्त कर पाने में असमर्थ होता है, उसे वह दैनंदिनी में लिख लेता है। दैनंदिनी सही अर्थ में एक 'सच्चे मित्र' की तरह होती है, जिसे हम सब कुछ बता सकते हैं। इसमें प्रतिदिन की विशेष घटनाओं को लिखकर हम उन्हें यादगार बना लेते हैं।
(2) जिस प्रकार हम फोटो देखकर उस अवसर की याद ताजा कर लेते हैं, उसी प्रकार दैनंदिनी के माध्यम से हम अतीत में लौट सकते हैं तथा अपने खट्टे-मीठे अनुभवों को पुनर्जीवित कर सकते हैं।
(3) प्रसिद्ध व महान व्यक्ति भी दैनंदिनी लिखते थे। उनकी दैनंदिनी पढ़कर हम पूरा युग देख सकते हैं। कई बार यही दैनंदिनी आगे चलकर 'आत्मकथा' का रूप ले लेती है। जिससे हम महान व्यक्तियों के विचारों, अनुभवों व दिनचर्या के बारे में जान पाते हैं।
दैनंदिनी लिखते समय कुछ बातों का ध्यान रखें :
(1) पृष्ठ में सबसे ऊपर तिथि, दिन तथा लिखने का समय अवश्य लिखें।
(2) इसे प्रायः सोने जाने से पहले लिखें, ताकि पूरे दिन में घटित सभी विशेष घटनाओं को लिख सकें।
(3) दैनंदिनी के अंत में अपने हस्ताक्षर करें, ताकि वह आपके
दैनंदिनी लिखते समय सरल व स्पष्ट भाषा का प्रयोग करें।
यहाँ कुछ दैनंदिनी के उदाहरण दिये जा रहे हैं-
(1) 23 अक्तूबर, 20XX, बुधवार
रात्रि 9 : 30 बजे
आज का दिन बहुत अच्छा बीता। विद्यालय की प्रार्थना सभा में समस्त विद्यार्थियों के सामने मुझे अंतर्विद्यालयी काव्य-पाठ प्रतियोगिता में जीता गया पुरस्कार दिया गया। घर आने पर मैंने माँ-पिता जी को पुरस्कार दिखाया, तब वे फूले नहीं समाए। दादी माँ ने मुझे आशीर्वाद दिया। अब मैं खाना खाने के बाद सोने जा रहा हूँ।
रोहित कुमार
(2) 10 मार्च, 20XX, मंगलवार
रात्रि 11 : 00 बजे
आज का दिन शायद मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा, क्योंकि बाजार की घटना बार-बार मेरी आँखों के सामने आ रही है। मैं आज शाम को माँ के साथ बाजार गया था, हम सड़क पार करने ही जा रहे थे, तभी तेजी से आती हुई एक कार ने सड़क पार करते हुए गाय के बछड़े को इतनी जोर से टक्कर मारी कि वह उछलकर हमारे पैरों में आकर गिरा और हमारे देखते-ही-देखते उसने प्राण त्याग दिए। यह भयानक दृश्य मैं शायद ही कभी भुला पाऊँ।
रवीश
(3) 07 जनवरी, 20XX, बुधवार
रात्रि 10 : 45 बजे
आज मैं बहुत खुश हूँ, क्योंकि आज मेरी इच्छा पूरी हो गई है। आज कक्षा में अध्यापिका ने सबके सामने परीक्षा परिणाम घोषित किया। जब उन्होंने सबसे अधिक अंक प्राप्त करके प्रथम आने वाली छात्रा का नाम लिया, तब मुझे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ, क्योंकि वह छात्रा कोई और नहीं मैं ही थी। सभी साथियों ने मेरी प्रशंसा की। घर आने पर मैंने माँ-पिता जी व दादा-दादी को रिपोर्ट कार्ड दिखाया, तो वे बहुत प्रसन्न हुए और मुझे न जाने कितने आशीर्वाद दिए।
अनुष्का
'दैनंदिनी' अर्थात 'जो प्रतिदिन लिखी जाए'। हर दिन की विशेष घटनाएँ-प्रिय अथवा अप्रिय, जिन्होंने भी मन पर प्रभाव छोड़ा हो, दैनंदिनी में लिखी जाती हैं।
दैनंदिनी लिखने का उद्देश्य :
(1) व्यक्ति जो बात दूसरों को समझा पाने अथवा व्यक्त कर पाने में असमर्थ होता है, उसे वह दैनंदिनी में लिख लेता है। दैनंदिनी सही अर्थ में एक 'सच्चे मित्र' की तरह होती है, जिसे हम सब कुछ बता सकते हैं। इसमें प्रतिदिन की विशेष घटनाओं को लिखकर हम उन्हें यादगार बना लेते हैं।
(2) जिस प्रकार हम फोटो देखकर उस अवसर की याद ताजा कर लेते हैं, उसी प्रकार दैनंदिनी के माध्यम से हम अतीत में लौट सकते हैं तथा अपने खट्टे-मीठे अनुभवों को पुनर्जीवित कर सकते हैं।
(3) प्रसिद्ध व महान व्यक्ति भी दैनंदिनी लिखते थे। उनकी दैनंदिनी पढ़कर हम पूरा युग देख सकते हैं। कई बार यही दैनंदिनी आगे चलकर 'आत्मकथा' का रूप ले लेती है। जिससे हम महान व्यक्तियों के विचारों, अनुभवों व दिनचर्या के बारे में जान पाते हैं।
दैनंदिनी लिखते समय कुछ बातों का ध्यान रखें :
(1) पृष्ठ में सबसे ऊपर तिथि, दिन तथा लिखने का समय अवश्य लिखें।
(2) इसे प्रायः सोने जाने से पहले लिखें, ताकि पूरे दिन में घटित सभी विशेष घटनाओं को लिख सकें।
(3) दैनंदिनी के अंत में अपने हस्ताक्षर करें, ताकि वह आपके
दैनंदिनी लिखते समय सरल व स्पष्ट भाषा का प्रयोग करें।
यहाँ कुछ दैनंदिनी के उदाहरण दिये जा रहे हैं-
(1) 23 अक्तूबर, 20XX, बुधवार
रात्रि 9 : 30 बजे
आज का दिन बहुत अच्छा बीता। विद्यालय की प्रार्थना सभा में समस्त विद्यार्थियों के सामने मुझे अंतर्विद्यालयी काव्य-पाठ प्रतियोगिता में जीता गया पुरस्कार दिया गया। घर आने पर मैंने माँ-पिता जी को पुरस्कार दिखाया, तब वे फूले नहीं समाए। दादी माँ ने मुझे आशीर्वाद दिया। अब मैं खाना खाने के बाद सोने जा रहा हूँ।
रोहित कुमार
(2) 10 मार्च, 20XX, मंगलवार
रात्रि 11 : 00 बजे
आज का दिन शायद मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा, क्योंकि बाजार की घटना बार-बार मेरी आँखों के सामने आ रही है। मैं आज शाम को माँ के साथ बाजार गया था, हम सड़क पार करने ही जा रहे थे, तभी तेजी से आती हुई एक कार ने सड़क पार करते हुए गाय के बछड़े को इतनी जोर से टक्कर मारी कि वह उछलकर हमारे पैरों में आकर गिरा और हमारे देखते-ही-देखते उसने प्राण त्याग दिए। यह भयानक दृश्य मैं शायद ही कभी भुला पाऊँ।
रवीश
(3) 07 जनवरी, 20XX, बुधवार
रात्रि 10 : 45 बजे
आज मैं बहुत खुश हूँ, क्योंकि आज मेरी इच्छा पूरी हो गई है। आज कक्षा में अध्यापिका ने सबके सामने परीक्षा परिणाम घोषित किया। जब उन्होंने सबसे अधिक अंक प्राप्त करके प्रथम आने वाली छात्रा का नाम लिया, तब मुझे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ, क्योंकि वह छात्रा कोई और नहीं मैं ही थी। सभी साथियों ने मेरी प्रशंसा की। घर आने पर मैंने माँ-पिता जी व दादा-दादी को रिपोर्ट कार्ड दिखाया, तो वे बहुत प्रसन्न हुए और मुझे न जाने कितने आशीर्वाद दिए।
अनुष्का
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