ऋतुचर्यापाटम् अधिकृत्य प्रत्येकम् ऋती कि कि करणीयम किं किं च न
करणीयम् इति मातृभाषया मुस्पष्टयत
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ऋतुचर्यापाटम् अधिकृत्य प्रत्येकम् ऋती कि कि करणीयम किं किं च न करणीयम् इति मातृभाषया अस्य प्रकारस्य...
ऋतुचर्या पाठ के अन्तर्गत प्रत्येक ऋतु के अन्तर्गत क्या-क्या करना चाहिये क्या नही करना चाहिये ये अपनी मातृभाषा में इस प्रकार है....
हेमन्त ऋतु —
क्या करना चाहिये...
हेमन्तु ऋतु दूध के बने पदार्थ जैसे कि दही, मलाई, रबड़ी आदि गन्ने के रस के बने पदार्थ जैसे कि गुड़, चीनी, मिश्री आदि का सेवन करना चाहिए। वसा (चर्बी) से बने पदार्थ जैसे तेल, घी आदि का सेवन करना चाहिए और नए चावल के बना भात खाना चाहिए। हेमंत ऋतु में गर्म जल का अधिक सेवन करना चाहिए।
क्या नही करना चाहिये...
हेमंत ऋतु में वातवर्धक तथा हल्का खाना-पीना, तेज वायु वर्धक भोजन और सत्तू जैसे अल्पाहार सेवन छोड़ देना चाहिये।
शिशिर ऋतु
क्या करना चाहिये...
शिशिर ऋतु में भी हेमन्त ऋतु के समान व्यवहार करना चाहिये। शिशिर ऋतु में शीत का प्रकोप थोड़ा बढ़ जाने के कारण ऐसे घर में रहना चाहिये जहाँ वायु का सीधा प्रवाह न होता हो।
क्या नही करना चाहिये...
शिशिर ऋतु में कड़वे, कसैले, तीखे और ठंडी तासीर वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
वसंत ऋतु
क्या करना चाहिये...
वसंत ऋतु में हेमंत ऋतु के शीत प्रभाव के कारण शरीर में कफ की मात्रा काफी बढ़ जाती है। ऐसे में गर्म तासीर वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिये।
क्या नही करना चाहिये...
वसंत ऋतु में कफ वर्धक पदार्थों जैसे कि घी, तेल के सेवन से बचना चाहिए तथा उल्टी व वमन जैसी क्रियाओं को अपनाकर शरीर में जमा कफ को बाहर निकालना चाहिए।
ग्रीष्म ऋतु
क्या करना चाहिये...
ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अपनी तीव्र किरणों से गर्मी का प्रभाव बढ़ाता है। इस कारण घी, दूध एवं चिकने पदार्थों का सेवन करना चाहिए तथा शीतलता प्रदान करने वाले पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए।
क्या नही करना चाहिये....
ग्रीष्म ऋतु में मसालेदार, तीखे, कड़वे, कसैले और लवण-अम्ल वाले पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।
वर्षा ऋतु
क्या करना चाहिये...
वर्षा ऋतु में वात का प्रकोप अधिक हो जाता है, इस कारण स्निग्थ पदार्थों जैसे कि घी, तेल से युक्त पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए तथा अम्ल-लवण वाले पदार्थों का भी सेवन करना चाहिए।
क्या नही करना चाहिये....
वर्षा ऋतु में कफवर्धक पदार्थों के सेवन करने से बचना चाहिए। खुले में रखे जाने वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
शरद ऋतु
क्या करना चाहिये...
शरद ऋतु में वर्षा में संचित किया गया पित्त कुपित हो जाता है> इस कारण शरीर शीत ऋतु के प्रभाव से संतप्त हो जाता है> ऐसी स्थिति में स्निग्ध पदार्थों का सेवन करना चाहिए। गर्म तासीर वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
क्या नही करना चाहिये...
शरद ऋतु में ठंडी तासीर वाले पदार्थों के सेवन करने से बचना चाहिए।
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कक्षा -11, संस्कृत (भास्वती) चतुर्थ पाठः – ऋतुचर्याः