ऋतुओं के चक्र को बनाए रखने में हमारे लिए क्या करना होगा?
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ND
एक दिन के चौबीस घंटों में होने वाले मौसम परिवर्तन से हम सब वाकिफ है। समय चक्र की यह सबसे छोटी अवधि है। व्यावहारिक रूप से इसे हम प्रातःकाल, मध्याह्न, संध्याकाल एवं रात्रि में विभाजित करते हैं। इसी प्रकार एक वर्ष के बारह महीनों में होने वाले मौसमी परिवर्तन से हम वाकिफ हैं। समय-चक्र की इस अवधि को हम ठंड, गर्मी एवं वर्षाकाल में विभाजित करते हैं।
परंतु, मौसम में होने वाले दैनिक परिवर्तन से हम नावाकिफ हैं। जैसे कि ठंड के मौसम में कौन से दिनों में शीतलहर होगी? या ग्रीष्म ऋतु में लू कब चलेगी? या वर्षा ऋतु में कौन से दिन भीगे होंगे और कौन से शुष्क? आदि। प्रस्तुत आलेख में इन्हीं प्रश्नों का उत्तर खोजने का प्रयास किया गया है।
भारतीय पंचांग की काल गणना पद्धति में सूर्य की गति के साथ ही चंद्रमा की गति को भी समायोजित किया गया है सूर्य की गति से जहाँ साल में होने वाले ऋतु परिवर्तन की गणना की जाती है, वहीं हम चंद्रमा की गति से मौसम में होने वाले दैनिक परिवर्तन का भी अनुमान लगा सकते हैं।
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