Chemistry, asked by ASingh1955, 10 months ago

साबुनीकरण प्रक्रिया क्या हैं ? अपमार्जकों ने साबुन का स्थान क्यों ले लिया हैं ?

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Answered by sharma5971
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साबुन (Soap): साधारणतः साबुन उच्च वसा-अम्लों (Higher Fatty Acids) के सोडियम लवण हैं। इन उच्च वसा-अम्लों में पामिटिक अम्ल (C15H31COOH), स्टिएरिक अम्ल (C17H35COOH) तथा ओलेइक अम्ल (C17H33COOH) उल्लेखनीय हैं। पामिटिक अम्ल से बने साबुन को सोडियम पामिटेट कहते हैं, जिसका आण्विक सूत्र (C15H35COONa) होता है। इसी प्रकार, स्टिएरिक अम्ल से बने साबुन सोडियम स्टिएरेट (C17H35COONa) तथा ओलेइक अम्ल से बने साबुन सोडियम ओलिएट (C17H33COONa) कहलाते हैं।

अच्छे साबुन की विशेषताएँ: (1) इसमें मुक्त क्षार उपस्थित नहीं रहना चाहिए। (2) यह ऐल्कोहॉल में विलेय होना चाहिए। (3) इसमें नमी की उपस्थिति 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए। (4) प्रयोग करते समय इसको चटखना नहीं चाहिए।

अपमार्जक (Detergents): साबुन द्वारा कपड़ों की धुलाई में अधिक परिश्रम करना पड़ता है तथा कठोर जल के साथ यह कठिनाई और अधिक हो जाती है। इस कठिनाई को दूर करने के लिए रसायनशास्त्रियों ने अनेक प्रयास किए। अंततः वे साबुन से भिन्न प्रकार की सफाई करने वाले पदार्थ के निर्माण में सफल हुए। इस पदार्थ को अपमार्जक अथवा साबुनरहित साबुन कहते हैं। इसका आविष्कार सर्वप्रथम जर्मनी में प्रथम विश्वयुद्ध के समय हुआ था।

अपमार्जकों के प्रकारउदाहरणसोडियम ऐल्किल सल्फेटसोडियम लौरिल सल्फेटचतुष्क अमोनियम लवणट्राइ मेथिलस्टिऐरिम अमोनियम ब्रोमाइडअंशतः एस्टरीकृत यौगिकपेंटा एरिथ्रटोल मोनोस्टिऐरेटप्रतिस्थापित ऐल्किल सल्फोनेटसोडियम p-डोडेसिल बेंजीन सल्फोनेट

साबुन और अपमार्जक में अंतरसाबुनअपमार्जक1. यह कठोर जल से कपड़े धोने के लिये उपयुक्त नहीं है, क्योंकि Ca++ तथा Mg++आयन इससे संयोग करके सफेद व चिकना अवक्षेप बनाते हैं।1. यह कठोर जल से कपड़े धोने के काम आता है, क्योंकि अपमार्जक कठोर जल में उपस्थित Ca++ तथा Mg++ आयनों के साथ कोई अविलेय अवक्षेप नहीं बनाते हैं।2. इसमें कम आर्द्रता गुण होता है।2. साबुन की अपेक्षा इसमें अधिक आर्द्रता गुण पाया जाता है।3. इसकी अधिकता नदियों में जाकर किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं करती, क्योंकि ये जैव निम्नकरणीय पदार्थ है।3. इसकी अधिकता नदियों में जाकर प्रदूषण करती है, क्योंकि ये जैव निम्नकरणीय नहीं है।4. इन्हें बनाने के लिये कच्चा पदार्थ पेट्रोलियम से प्राप्त होते हैं।4. इन्हें बनाने के लिये कच्चा माल वनस्पति तेल होता है।

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