Hindi, asked by mdtausifmiyabhai1234, 1 day ago

'सुबह और शाम के रंगे हुए गगन को चूमकर' - यह पंक्ति किस कविता की है ?​

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Answered by shishir303
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‘सुबह और शाम के रंगे हुए गगन को चूमकर’ यह पंक्ति गीतकार शैलेंद्र द्वारा रचित कवित-गीत ‘तू ज़िन्दा है तू ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर’ की हैं।

व्याख्या ⦂

✎...शैलेंद्र हिंदी फिल्म जगत के एक प्रसिद्ध कवि-गीतकार थे। उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए अनेक गीतों की रचना की। उनकी फिल्म अभिनेता राजकपूर के साथ जोड़ी जोड़ी सफल रही। राज कपूर की अधिकतर फिल्मों के लिये उन्होंने गीतों की रचना की। शैलेंद्र का असली नाम शंकरदास केसरीलाल था। उनका जन्म 1923 में रावलपिंडी में हुआ था। उनकी मृत्यु 1966 में मुंबई में हुई।  

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