सुभाष चंद्र बोस के ऊपर एक हिंदी में कविता लिखें|
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Answer:
यह उसी वीर इतिहास-पुरुष की अनुपम अमर कहानी है
जो रक्त कणों से लिखी गई जिसकी जयहिन्द निशानी है
प्यारा सुभाष, नेता सुभाष, भारत भू का उजियारा था
पैदा होते ही गणिकों ने जिसका भविष्य लिख डाला था
यह वीर चक्रवर्ती होगा या त्यागी होगा सन्यासी
जिसके गौरव को याद रखेंगे, युग-युग तक भारतवासी
सो वही वीर नौकरशाही ने पकड़ जेल में डाला था
पर क्रुद्ध केहरी कभी नहीं फंदे में टिकने वाला था
बांधे जाते इंसान कभी तूफ़ान न बांधे जाते हैं
काया ज़रूर बांधी जाती बांधे न इरादे जाते हैं
वह दृढ़-प्रतिज्ञ सेनानी था जो मौका पाकर निकल गया
वह पारा था अंग्रेज़ों की मुट्ठी में आकर फिसल गया
जिस तरह धूर्त दुर्योधन से बचकर यदुनन्दन आए थे
जिस तरह शिवाजी ने मुग़लों के पहरेदार छकाए थे
बस उसी तरह यह तोड़ पिंजरा तोते-सा बेदाग़ गया
जनवरी माह सन् इकतालिस मच गया शोर वह भाग गया
वे कहां गए, वे कहां रहे, ये धूमिल अभी कहानी है
हमने तो उसकी नयी कथा आज़ाद फ़ौज से जानी है
Explanation:
hope it helps
Answer:है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें सब बह जाया करते हैं
है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते हैं
अक्सर दुनिया के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं
लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, इतिहास बनाया करते हैं
यह उसी वीर इतिहास-पुरुष की अनुपम अमर कहानी है
जो रक्त कणों से लिखी गई,जिसकी जयहिन्द निशानी है
प्यारा सुभाष, नेता सुभाष, भारत भू का उजियारा था
पैदा होते ही गणिकों ने जिसका भविष्य लिख डाला था
यह वीर चक्रवर्ती होगा , या त्यागी होगा सन्यासी
जिसके गौरव को याद रखेंगे, युग-युग तक भारतवासी
सो वही वीर नौकरशाही ने,पकड़ जेल में डाला था
पर क्रुद्ध केहरी कभी नहीं फंदे में टिकने वाला था
बाँधे जाते इंसान,कभी तूफ़ान न बाँधे जाते हैं
काया ज़रूर बाँधी जाती,बाँधे न इरादे जाते हैं
वह दृढ़-प्रतिज्ञ सेनानी था,जो मौका पाकर निकल गया
वह पारा था अंग्रेज़ों की मुट्ठी में आकर फिसल गया
जिस तरह धूर्त दुर्योधन से,बचकर यदुनन्दन आए थे
जिस तरह शिवाजी ने मुग़लों के,पहरेदार छकाए थे
बस उसी तरह यह तोड़ पींजरा , तोते-सा बेदाग़ गया।
जनवरी माह सन् इकतालिस,मच गया शोर वह भाग गया
वे कहाँ गए, वे कहाँ रहे, ये धूमिल अभी कहानी है
हमने तो उसकी नयी कथा, आज़ाद फ़ौज से जानी है
साभार - कविताकोश
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