'सुभर जल' तथा हंस का गहन
Answers
Answered by
3
Answer:
samajh nhi aa rha kya likhu
Answered by
2
Answer:
" मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं।
मुक्ताफल मुक्ता चुगै, अब उड़ि अनत ना
जाहि।। "
-प्रस्तुत पंक्तियां कबीर द्वारा रचित है।
- प्रस्तुत पंक्तियां कबीर की साखियाँ से
अवतरित है ।
प्रस्तुत वाक्य में ' मोती चुगने ' का आशय यह
है कि :-
आत्मा इस संसार से संतुष्ट है , अतः
आनंदित है । तत्पश्चात् वह इस जीवन को
छोड़ कर कहीं नहीं जाना चाहता है और वो
हंस के भांति ही , मोती चूगने में लगा हुआ है।
अर्थात जीवन का आनंद लेने में लगा हुआ है।
ठीक ऐसे ही , हंस मानसरोवर को ही अपना
जीवन मानकर उसमें मोती चूगने लगते है ।
HOPE IT HELPS U
Similar questions