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सोचिए कि बीज में अंकुरण के बाद और कौन-कौन से परिवर्तन होंगे और लिखिए।
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बीज के अंकुरण की प्रक्रिया के बाद एक छोटा पौधा बीज से निकलने लगता है यह मुख्य रूप से तब होता है जब इसको आवश्यक पदार्थ और उचित वातावरण मिलता है इसके लिए सही तापमान जल और वायु की अत्यंत आवश्यकता होती।
- बीज अंकुरण की प्रक्रिया में निम्नलिखित पांच परिवर्तन या कह सकते हैं चरण शामिल है। इस प्रक्रिया में आते हैं शोषण , श्वसन ,बीज अंकुरण पर प्रकाश का प्रभाव, बीज अंकुरण के दौरान भंडार का जुटाव, और वृद्धि नियामकों की भूमिका और भ्रूण अक्ष का अंकुरण में विकास होता है।
- अंकुरण की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक है तापमान अधिकतर बीजों का अंकुरित होने के लिए 18 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के मध्य तापमान की आवश्यकता होती है लेकिन कुछ ऐसे बीच भी होते हैं जिन्हें विशेष रूप से 5 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच कमियां उच्च तापमान की आवश्यकता होती है।
- जब किसी पौधे के बीज को अनुकूल परिस्थितियां जैसे पानी, ऑक्सीजन , उचित तापमान मिल जाता है। तब बीच में से प्राइमरी रूट्स (रेडिकल) निकलने लगती है और बीज से पौधा बनने लगता है। इस प्रक्रिया को ही बीज अंकुरण की प्रक्रिया या सीड जर्मिनेशन की प्रक्रिया कहा जाता है।
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