संचार के आधुनिक साधनों के कारण डाक विभाग में आए हुए पतन के बारे में लिखिए।
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भारत की आज़ादी के वक्त देश भर में 23,344 डाकघर थे। इनमें से 19,184 डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में और 4,160 शहरी क्षेत्रों में थे। देश भर में 31 मार्च, 2008 तक 1,55,035 डाकघर थे। जिनमें से 1,39,173 डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों और 15,862 शहरी क्षेत्रों में थे। पोस्टल नेटवर्क में इस सात गुने विकास के परिणामस्वरूप आज भारत में विश्व का सबसे बड़ा पोस्टल नेटवर्क है।
पोस्टल नेटवर्क के विस्तार में, ख़ास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में, काफ़ी हद तक, डाक विभाग के विशिष्ट तंत्र अंशकालिक अतिरिक्त विभागीय डाकखानों को शुरू करने का योगदान रहा है। इस व्यवस्था के अंतर्गत विशेष प्रावधानों के अनुसार स्थानीय निवासियों को नियुक्त किया जाता है, जो पोस्ट ऑफिस की अधिकतम 5 घंटों की अवधि तक देखभाल करते हैं और निश्चित भत्तों के भुगतान पर पत्रों को लाने एवं पहुंचाने का काम करते हैं। भारत में एक डाकघर 21.20 वर्ग कि.मी. क्षेत्र और 7174 लोगों की जनसंख्या को अपनी सेवा प्रदान करता है। विभाग द्वारा निर्धारित जनसंख्या, आय एवं दूरी से संबंधित मानकों के अनुरूप ही डाकघर खोले जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में डाकघर खोलने पर सब्सिडी दी जाती है जो पर्वतीय, रेगिस्तानी और दुर्गम क्षेत्रों में लागत की 85 प्रतिशत तक होती है और सामान्य ग्रामीण क्षेत्रों में लागत की 68 प्रतिशत तक होती है।
पोस्टल नेटवर्क में चार श्रेणियों के डाकघर हैं – प्रधान डाकघर, उप डाकघर, अतिरिक्त विभागीय उप-डाकघर और अतिरिक्त विभागीय शाखा डाकघर। सभी श्रेणियों के डाकघर समान पोस्टल सेवाएं प्रदान करते हैं। हालांकि डिलीवरी का काम विशिष्ट डाकघरों के लिए निश्चित है। प्रबंध-नियंत्रण के लिए शाखा डाकघरों से कोष को उप-डाकघरों में और अंत में प्रधान डाकघर में लाकर जमा किया जाता है।
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