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सोडती पत्थर कविता का भावार्य लिखिए ।
तोड़ती पत्थर
पूर्पकांत त्रिपा) निराला' पारा
पित रु मर्मस्पर्ण कपिता । इस
कविता में कवि 'बिराला जी ने एक
के माय
पत्थर
तोड़ने वाली मजदूरी
ये शोषित
विषमता
वजन दिया है। कवि
दि
मजदूर पति
पमाज के
जीवन की
कातोड़ती कविता का भावार्थ हिंदी साहित्य
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