History, asked by timelock321, 1 month ago

सुफी हा इस्लामधर्मातील एक पंथ होय परमेश्वर प्रेममय आहे.प्रेम व भक्ती या मार्गानीच परमेश्वरा पर्यंत पोहचता येते.अशी सुफी संतांची श्रद्धा होती. सर्व प्राणीमात्रावर प्रेम करावे, परमेश्वराचे चिंतन करावे , साधे पाने राहावे, अशी त्यांची शिकवण होती. ख्वाजा मोइनुदिन चिस्ती ,शेख निझामुद्दीन अवलिया हे थोर सुफी होत. सुफी संतांच्या उपदेशामुळे हिंदू- मुसलमान समाजात ऐक्य निर्माण झाले.भारतीय संगीतात सुफी संगीत परंपरेने मोलाची भर घातली आहे.
1 वरील उतऱ्यातील निष्कर्ष सांगा​

Answers

Answered by Sujit14375
2

Answer:

सूफ़ीवाद या तसव्वुफ़[1] (अरबी : الْتَّصَوُّف}; صُوفِيّ} सूफ़ी / सुफ़फ़ी, مُتَصَوِّف मुतसवविफ़),, इस्लाम का एक रहस्यवादी पंथ है।[2] इसके पंथियों को सूफ़ी(सूफ़ी संत) कहते हैं। इनका लक्ष्य अपने पंथ की प्रगति एवं सूफीवाद की सेवा रहा है। सूफ़ी राजाओं से दान-उपहार स्वीकार नही करते थे और सादगी भरा जीवन बिताना पसन्द करते थे। इनके कई तरीक़े या घराने हैं जिनमें सोहरावर्दी (सुहरवर्दी), नक्शवंदिया, क़ादरिया, चिष्तिया, कलंदरिया और शुत्तारिया के नाम प्रमुखता से लिया जाता है।

माना जाता है कि सूफ़ीवाद ईराक़ के बसरा नगर में क़रीब एक हज़ार साल पहले जन्मा। राबिया, अल अदहम, मंसूर हल्लाज जैसे शख़्सियतों को इनका प्रणेता कहा जाता है - ये अपने समकालीनों के आदर्श थे लेकिन इनको अपने जीवनकाल में आम जनता की अवहेलना और तिरस्कार झेलनी पड़ी। सूफ़ियों को पहचान अल ग़ज़ाली के समय (सन् ११००) से ही मिली। बाद में अत्तार, रूमी और हाफ़िज़ जैसे कवि इस श्रेणी में गिने जाते हैं, इन सबों ने शायरी को तसव्वुफ़ का माध्यम बनाया। भारत में इसके पहुंचने की सही-सही समयावधि के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी में ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती बाक़ायदा सूफ़ीवाद के प्रचार-प्रसार में जुट गए थे।[3]

सूफी लोगो सुन्नी को कहा जाता हैं और सुन्नी इस्लाम में हर फिरके से अलग और असल क़ुरान हदीस पर चलने वाले मोमिन होते हैं इस्लाम को अगर समाज न हैं तो क़ुरान हदीस से समजा जा सकता हैं और क़ुरान हदीस को जो समजे वो असल मोमीन होता हैं जो हज़रात मोहम्मद और सहाबा के तौर तरीके को अपनाता हैं और दुनिया को भूल कर अल्लाह के रह में ज़िन्दगी बसर यानि गुजरता हैं वही सूफी होता हैं अपनी सारी ज़िन्दगी अल्लाह और उसके रसूल के नाम पर करने के बाद वो अल्लाह वाला हो जाता हैं जिससे हर मोमीन मुस्लमान उन से फैज़ पता हैं और अपने दुनिया के सरे गम और परेशानिया लेके उस सूफी बाबा के कदम पोषी के लिए हाज़िर होता हैं सूफी वो होता हैं जो ज़िंदा रहते ही लोगो के बड़े काम आता हैं पर इस दुनिया से पर्दा करने यानि इन्तेकाल के बाद भी वो अपने क़बर से अल्लाह के हुकुम से लोगो के काम आता हैं

Answered by hackerboy78
9

मोइनुदिन चिस्ती ,शेख निझामुद्दीन अवलिया हे थोर सुफी होत. सुफी संतांच्या उपदेशामुळे हिंदू- मुसलमान समाजात ऐक्य निर्माण झाले.भारतीय संगीतात सुफी संगीत परंपरेने मोलाची भर घातली आहे.

1 वरील उतऱ्यातील निष्कर्ष सांगा

Similar questions