संगठन-शक्तिः (वेदवाणी) पाठ के आधार पर संगठन में शक्ति होती है इस बात को उदाहरण देकर समझाएं । *
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‘संगठन में शक्ति है, आत्मीयता व प्रेम भावना से समाज उन्नति कर सकता है’
संगठन में बड़ी शक्ति होती है। संगठित परिवार, समाज और संस्था कभी असफल नहीं होते हैं। आपसी आत्मीयता, प्रेम, स्नेह, वात्सल्य और एक-दूसरे को सहयोग की भावना से समाज उन्नति कर सकता है। समाज के बड़े, छोटों के प्रति स्नेह और सहयोग का भाव रखें तो समाज के कार्य उत्साह और उमंगता से संपन्न हो पाएंगे।
यह बात कार्यदक्ष मुनिराज पीयूषचंद्रविजयजी ने श्री सौवृत त्रिस्तुतिक जैन श्वेतांबर श्रीसंघ द्वारा आयोजित संयम शिखर स्पर्शोत्सव के अंतिम दिन दादावाड़ी में संयम अनुमोदना धर्मसभा में कही। उन्होंने कहा गुरुदेव राजेंद्रसूरिजी ने जावरा नगर को क्रियोद्धार के लिए चुना। गच्छ के कई आयोजन इस पुण्य भूमि पर हुए हैं। धर्मसभा को मालवकेसरी हितेशचंद्रविजयजी, उपाध्याय रजतचंद्रविजयजी ने संबोधित किया। मुनिचंद्रसागरजी, विदुषी साध्वी किरणप्रभाश्रीजी आदि ठाणा 6, तपस्वी र|ा दर्शनरेखाश्रीजी मौजूद थे। धर्मसभा से पहले मुनिराज हितेशचंद्रविजयजी ने मंगलाचरण किया। स्वागत भाषण श्रीसंघ अध्यक्ष ज्ञानचंद चौपड़ा ने दिया।