संघवाद से क्या आशय है?
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संघवाद (फेडलिज़्म) संवैधानिक राजसंचालन की उस प्रवृत्ति का प्रारूप है जिसके अंतर्गत विभिन्न राज्य एक संविदा द्वारा एक संघ की स्थापना करते हैं। इस संविदा के अनुसार एक संघीय सरकार एवं अनेक राज्य सरकारें संघ की विभिन्न इकाइयाँ हो जाती हैं।
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संघवाद से क्या आशय है |
- संघवाद सरकार का एक रूप है जिसमें सत्ता आंशिक रूप से केंद्र सरकार और राज्य या क्षेत्रीय सरकारों के बीच विभाजित होती है। संघवाद संवैधानिक रूप से सत्ता साझा करता है क्योंकि इसमें स्वशासन और साझा शासन की व्यवस्था है। स्वतंत्रता से लेकर वर्तमान तक भारतीय संघवाद का स्वरूप बदलता रहा है।
- वंश या राजवंश सरकार की एक प्रणाली है जिसमें एक ही परिवार, कबीले या समूह से एक के बाद एक कई शासक बनाए जाते हैं। वंशवाद भाई-भतीजावाद और उसके स्वरूप का जनक है। माना जाता है कि लोकतंत्र में वंशवाद के लिए कोई जगह नहीं होती, लेकिन फिर भी कई देशों में वंशवाद का बोलबाला है। वंशवाद सबसे घटिया किस्म का आरक्षण है।
- संविधान में निहित एक अन्य मूल अवधारणा संघवाद है, जो राष्ट्रीय और राज्य सरकारों के बीच विभाजन और सत्ता के बंटवारे को संदर्भित करता है।
- भारत में संघवाद केंद्र सरकार और भारत की राज्य सरकारों के बीच संबंधों को संदर्भित करता है। भारत का संविधान भारत सरकार की संरचना निर्धारित करता है। भारतीय प्रशासन में सत्ता का प्रवाह केंद्र से स्थानीय निकायों यानी पंचायत की ओर होता है, इसलिए देश में विकेंद्रीकरण आवश्यक है ताकि केंद्र को सभी शक्तियां प्राप्त न हों। यह संघवाद की आवश्यकता को बढ़ाता है।
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