सेह पिरित अनुराग बखानिअ तिल-तिल नूतन होए' से लेखक के क्या आशय है ?
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Explanation:
सेह पिरित अनुराग बखानिअ तिल-तिल नूतन होए' से लेखक के क्या आशय है ?
लेखक का आशय निम्नलिखित है
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'सेह फिरत अनुराग बखानिअ तिल-तिल नूतन होए' पंक्तियों से लेखक का आशय प्रेम के विषय में वर्णन करना है। लेखक के अनुसार प्रेम एक ऐसा भाव है, जिसके विषय में कुछ कहना या व्यक्त करना संभव नही है। प्रेम एक एहसास है जिसे केवल महसूस किया जा सकता है। जिस व्यक्ति को प्रेम हो जाता है वह दीवाना हो जाता है। और प्रेम में इतना विलीन हो जाता है कि स्वयं को जितना निकालना चाहता है उतना ही डूबता चला जाता है। प्रेम पुराना होने पर भी नए के जैसा लगता है। लेखक के अनुसार प्रेम कोई स्थिर चीज़ नहीं है जिसमे कोई परिवर्तन न हो। स्थिर चीज़ का बखान करना सरल है परन्तु यह ऐसा भाव है जो समय के साथ साथ पल पल बदलता रहता है। यही कारण है कि इसका वर्णन करना कठिन हो जाता है और इसमें नवीनता बनी रहती है।