Geography, asked by rajabhaiyalodhithaku, 2 months ago

) साहित्य के संवर्धन की चेष्टा कब अपना अस्तित्व खो बैठती है?​

Answers

Answered by gauravstudentrsid
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Answer:

साहित्य के संवर्धन की चेष्टा गतिहीन होने पर अपना अस्तित्व खो बैठती है। (4) महत्वशाली साहित्य की सेवा और श्री वृद्धि न करने वाला मनुष्य समाजद्रोही एवं देशद्रोही है। (5) सारांश-मुर्दे में जान डालने वाले, पतितों एवं उत्पीड़ितों को उन्नत बनाने वाले साहित्य के उत्पादन एवं संवर्धन की चेष्टा अनिवार्य है।

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