) साहित्य के संवर्धन की चेष्टा कब अपना अस्तित्व खो बैठती है?
Answers
Answered by
7
Answer:
साहित्य के संवर्धन की चेष्टा गतिहीन होने पर अपना अस्तित्व खो बैठती है। (4) महत्वशाली साहित्य की सेवा और श्री वृद्धि न करने वाला मनुष्य समाजद्रोही एवं देशद्रोही है। (5) सारांश-मुर्दे में जान डालने वाले, पतितों एवं उत्पीड़ितों को उन्नत बनाने वाले साहित्य के उत्पादन एवं संवर्धन की चेष्टा अनिवार्य है।
ok
it will help you
Similar questions
Computer Science,
1 month ago
India Languages,
2 months ago
Chemistry,
10 months ago
Physics,
10 months ago
English,
10 months ago