साहित्य सागर पद्य भाग के 'साखी’ कविता का (1)कवि परिचय (2)पद्य का भावार्थ
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Explanation:
कबीरदास हिंद के संत कवियों में कबीरदास का सर्वोच्च स्थान है इनका जन्म संवत् 1455 को माना जाता है कबीर ने प्रसिद्ध वैष्णव संत स्वामी रामानंद से दीक्षा ली कुछ लोग शेख तकी का विशेष्य मानते थे कबीर निर्गुण तथा निराकार ईश्वर के उपासक थे इसलिए उन्होंने मूर्ति पूजा कर्मकांड तथा बाहरी आडंबर का खुलकर विरोध किया कबीर दास की वाणी संग्रह बीजक नाम से प्रसिद्ध है इसके तीन भाग है साखी सबद और रमैनी
Explanation:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पायँ।
बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोबिंद दियौ बताय॥
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहि।
प्रेम गली अति साँकरी, तामे दो न समाहि॥
कबीर के गुरु के प्रति दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कबीरदास ने गुरु का स्थान ईश्वर से श्रेष्ठ माना है। कबीर कहते है जब गुरु और गोविंद (भगवान) दोनों एक साथ खडे हो तो गुरु के श्रीचरणों मे शीश झुकाना उत्तम है जिनके कृपा रुपी प्रसाद से गोविंद का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। गुरु ज्ञान प्रदान करते हैं, सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं, मोह-माया से मुक्त कराते हैं।