साइकिल चलाने का पहला अनुभव।diary lekhan
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अब दोस्तों क्या बताऊं आपको जब मैंने जन्म लिया।, तब मेरे पापा तो बाहर रहते थे।, सप्ताह में एक या 2 दिन के लिए आते थे।," हम भाई बहनों को मेरी मां ने हीं पाल पोस कर बड़ा किया। , तो मां हमेशा ऐसे ही डरती रहती थी कि अगर कुछ भी कुछ करने गये और चोट लग गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे।" तुरंत हॉस्पिटल लेकर भागना पड़ेगा।," इसलिए कई बार जिद भी की लेकिन मां हमेशा यह कहकर टाल दे दी की बेटा थोड़ी बड़ी हो जाओ फिर चला लेना।," फिर धीरे-धीरे समझ में आ गया कि मां को बहुत डर लगता है, इसलिए जिद करना छोड़ दिया। ," और दुसरे खेल जैसे लूडो,कैरेम,इलास्टीक,लफन डोरी,सीढ़ीयों से कुदना,झुला झुलना,कित- कित बगैरह-ही खेल लेती थी।, वैसे भी बहुत ज्यादा वक्त तो मेरे पास होता ही नहीं था।," क्योंकि सुबह स्कूल जाना शाम को घर लौटना ... उसके बाद सर से पढ़ना, दोस्तों के साथ खेलना, टीवी देखना, यही सब करते करते ही 9 बज जाते थे। " इतने में खाने का समय हो जाता... और 10 बजते बजते मम्मी सुला देती की बहुत रात हो गई है सो जाओ।, सुबह जल्दी उठना भी है और पढ़ना भी है।, मैं भी मम्मी को ज्यादा परेशान नहीं करती थी क्योंकि मम्मी सारा काम अपने हाथ से करती थी... क्योंकि उस समय ज्यादातर घरों में कामवाली बाई नहीं होती थी.... इसलिए मां भी दिन भर काम कर के थक जाती थी।, मेरे पास तो तो इतना वक्त ही नहीं होता था कि मैं मां का हाथ बंटा दूं । वक्त अपनी रफ्तार से चल रहा था। धीरे-धीरे मैंने भी अपनी पढ़ाई कंप्लीट की और मेरी शादी हो गई। जब शादी करके आई तब देखा कि ससुराल में तो सभी को साइकिल चलानी आती है।, एक मैं ही थी ..जिसे नहीं आती थी।, वैसे मेरे पति ने कभी कुछ कहा नहीं लेकिन मुझे खुद ही खराब लगता था। ," की मुझे साइकिल चलाना नहीं आता। ," और तो और मुझे तो पीछे बैठने में भी डर लगता था। , एक बार हिम्मत करके बैठ गई लेकिन मेरा पैर साइकिल की रिंम में आ गया। , और पैरों में खरोंच आ गयी।, मुझे चोट बिल्कुल बर्दाश्त नहीं थी।, मैंने कभी फिर साइकिल में बैठने की कोशिश भी नहीं की,इसी तरह वक्त बीतते मेरा एक बच्चा हो गया। , वह 7 साल की उम्र में ही साइकिल चलाना सीख गया।,तब सब मुझसे कहने लगे की कितनी शर्म की बात है ,एक छोटा सा बच्चा सीख गया तुम क्यों नहीं सीख लेती।,अरे कोशिश तो करो।,सबको बोलते हुये मेरे बेटे ने भी बोलना शुरू कर दिया मम्मी आप ट्राई करो कुछ नहीं होगा आप भी सीख जाओगी।, मरते क्या ना करते।, सन 2018 में पहली बार साइकिल चलाने के लिए मैदान में उतरी ।साइकिल सिखाने के लिए मेरा बेटा और पति दोनों मेरे साथ गये। ,पहले 10 मिनट तो सिर्फ साइकिल में बैठते कैसे है,इसी मे़ चले गये।,फिर 20 मिनट में किसी तरह पैडल मारा , और पैडल मारते ही जैसे ही साइकिल चलाई धड़ाम से नीचे गिर गई।,और मेरे पैरों से हल्का हल्का खुन बहा,और और वहां पर उस समय जितने भी लोग मौजूद थे सब जोर जोर से हंसने लगे।,तब मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई।, और दोबारा फिर मैं कभी साइकिल सीखने नहीं गई। ,ये मेरा साइकिल सीखने का अनुभब था।
Explanation:
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