Hindi, asked by yadavvishal3829, 23 days ago

साजि चतुरंग सैन, अंग में उमंग धरि I सरजा सिवाजी, जंग जीतन चलत है I भूषण भनत नाद,बिहद नगारन के नदी - नद मद, गैबरन के रलत है I इस पंक्ती में से इस रस की अभिव्यंजना होती है I * bhai bolo

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Answered by kumarajayshahbly123
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Answer:

साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग धरि

सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है

भूषण भनत नाद बिहद नगारन के

नदी-नद मद गैबरन के रलत है

ऐल-फैल खैल-भैल खलक में गैल गैल

गजन की ठैल –पैल सैल उसलत है

तारा सो तरनि धूरि-धारा में लगत जिमि

थारा पर पारा पारावार यों हलत है

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