सिक्के यूं मत फेंकिए , प्रभु पर ही यजमान |बड़ा सा नोट चढ़ाइए तब होगा कल्यान || -पंक्तियों में प्रयुक्त रस है - *
शांत रस
हास्य रस
अद्भुत रस
वीर रस
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सिक्के यूं मत फेंकिए , प्रभु पर ही यजमान |बड़ा सा नोट चढ़ाइए तब होगा कल्यान || -पंक्तियों में प्रयुक्त रस है - *
सिक्के यूं मत फेंकिए , प्रभु पर ही यजमान |
बड़ा सा नोट चढ़ाइए तब होगा कल्यान ||
प्रश्न में दी गई पंक्तियों में हास्य रस है |
व्याख्या : इन पंक्तियों में हास्य रस हास्य रस प्रकट हो रहा है। हास्य रस का स्थाई भाव हास है। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की वेशभूषा, उसकी वाणी या उसकी चेष्टा में आई किसी भी विकृति या अनोखी बात को देखकर सहज रूप से हंसी आ जाए। तब वहाँ पर हास्य रस प्रकट होता है।
हास्य रस का स्थाई भाव हास होता है इसके अंतर्गत वेशभूषा, वाणी आदि को देखकर मन में जो विनोद का भाव उत्पन्न होता है उससे हास की उत्पत्ति होती है इसे ही हास्य रस कहते है |
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